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मां सेतु बन जाती है(विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*जब रिश्तों में आ जाती है कोई दूरी,तब माँ सेतु बन जाती है*

*जीवन की भूल भुलैया में मां राह सरल बन जाती है*

*जब रिश्तों में आ जाये कोई कड़वाहट,
तब माँ शक्कर बन जाती है*

*भूख लगे गर बच्चे को,
मां रोटी बन जाती है*

*नींद अगर आए बच्चे को
मां लोरी बन जाती है*

*शक्ल देख हरारत पहचानने वाली मां, जीवन की धुरि बन जाती है*

*जिंदगी का परिचय अनुभूतियों से करवाने वाली मां जीवन का पहला शिक्षक बन जाती है*

*मित्र,मार्गदर्शक,सलाहकार जाने कितने किरदार निभाती है*

*हर संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण का बोध कराने वाली मां हमारे हर क्यों,कब,कैसे,कितने का तत्क्षन उत्तर बन जाती है*

*लफ्ज़ नहीं लहजे पहचान लेती है मां,मां की शक्ति के आगे कायनात भी झुक जाती है*

*जीवन के इस अग्नि पथ को मां ही सहज पथ बनाती है*

*धूप अगर लगती है घणी,
मां छाया बन जाती है*

*जब सब पीछे हट जाते हैं
मां सबसे आगे आती है*

*हमें हमारे गुण दोषों दोनों संग
मां ही तो अपनाती है
जीवन समर में मां ही तो कदम कदम पर हमारा आत्मविश्वास बढ़ाती है*

*खुद मझधार में हो कर भी हमे सहली का पता बताती है*

*जाने कितने ही झगड़ों पर समझौते का तिलक लगाती है*

*कितना कुछ भीतर ही भीतर छिपा कर उपर से मुस्कुराती है*

*कुदरत की ये विलक्षण सी रचना मां जीवन की सबसे मधुर सरगम बन जाती है*

*हम से हमारा परिचय मां ही तो करवाती है*

*फिर एक दिन जिंदगी के रंगमंच से मां हौले से चली जाती है*

*अधिक तो कहना आता नहीं मुझे,
बस तब पूनम मावस बन जाती है*

*एक धागे में पिरो कर रखती है सब भिन्न भिन्न मोती,माँ पूरी माला बन जाती है*

और परिचय क्या दूं मां का???
मां जीवन में सहजता लाती है,
*उपलब्ध सीमित संसाधनों में मां
बेहतर नहीं बेहतरीन कर जाती है*

*एक मां ही तो होती है जो शिक्षा के भाल पर तिलक संस्कारों का लगाती है*

*@मां जैसा सच कोई और नहीं,
ये बात सबको समझ में आती है*

*कभी थकती नहीं,कभी रुकती नहीं,
जाने इतनी हिम्मत कहां से लाती है*

*मानों चाहे या ना मानो
साँझ होते ही माँ याद आ जाती है*

Comments

  1. Wow mam.... amazing 😍...
    एक मां की परिभाषा को बहुत ही सुन्दर तरीके से साझा करती हैं आपकी ये अत्यन्त ही सुन्दर कृति 😊

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