*जब रिश्तों में आ जाती है कोई दूरी,तब माँ सेतु बन जाती है*
*जीवन की भूल भुलैया में मां राह सरल बन जाती है*
*जब रिश्तों में आ जाये कोई कड़वाहट,
तब माँ शक्कर बन जाती है*
*भूख लगे गर बच्चे को,
मां रोटी बन जाती है*
*नींद अगर आए बच्चे को
मां लोरी बन जाती है*
*शक्ल देख हरारत पहचानने वाली मां, जीवन की धुरि बन जाती है*
*जिंदगी का परिचय अनुभूतियों से करवाने वाली मां जीवन का पहला शिक्षक बन जाती है*
*मित्र,मार्गदर्शक,सलाहकार जाने कितने किरदार निभाती है*
*हर संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण का बोध कराने वाली मां हमारे हर क्यों,कब,कैसे,कितने का तत्क्षन उत्तर बन जाती है*
*लफ्ज़ नहीं लहजे पहचान लेती है मां,मां की शक्ति के आगे कायनात भी झुक जाती है*
*जीवन के इस अग्नि पथ को मां ही सहज पथ बनाती है*
*धूप अगर लगती है घणी,
मां छाया बन जाती है*
*जब सब पीछे हट जाते हैं
मां सबसे आगे आती है*
*हमें हमारे गुण दोषों दोनों संग
मां ही तो अपनाती है
जीवन समर में मां ही तो कदम कदम पर हमारा आत्मविश्वास बढ़ाती है*
*खुद मझधार में हो कर भी हमे सहली का पता बताती है*
*जाने कितने ही झगड़ों पर समझौते का तिलक लगाती है*
*कितना कुछ भीतर ही भीतर छिपा कर उपर से मुस्कुराती है*
*कुदरत की ये विलक्षण सी रचना मां जीवन की सबसे मधुर सरगम बन जाती है*
*हम से हमारा परिचय मां ही तो करवाती है*
*फिर एक दिन जिंदगी के रंगमंच से मां हौले से चली जाती है*
*अधिक तो कहना आता नहीं मुझे,
बस तब पूनम मावस बन जाती है*
*एक धागे में पिरो कर रखती है सब भिन्न भिन्न मोती,माँ पूरी माला बन जाती है*
और परिचय क्या दूं मां का???
मां जीवन में सहजता लाती है,
*उपलब्ध सीमित संसाधनों में मां
बेहतर नहीं बेहतरीन कर जाती है*
*एक मां ही तो होती है जो शिक्षा के भाल पर तिलक संस्कारों का लगाती है*
*@मां जैसा सच कोई और नहीं,
ये बात सबको समझ में आती है*
*कभी थकती नहीं,कभी रुकती नहीं,
जाने इतनी हिम्मत कहां से लाती है*
*मानों चाहे या ना मानो
साँझ होते ही माँ याद आ जाती है*
Wow mam.... amazing 😍...
ReplyDeleteएक मां की परिभाषा को बहुत ही सुन्दर तरीके से साझा करती हैं आपकी ये अत्यन्त ही सुन्दर कृति 😊
शुक्रिया
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