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Showing posts from 2024

तूं आज भी चित में रहती है

प्रयास

उस्ताद नहीं मुझे शागिर्द कहो

क्या नहीं कर सकते ये हाथ

मेहमान

प्रेम पैमाना

जाकिर हुसैन

कुछ लोग

बहुत कुछ दे गए इस जग को

जब जब भी जिक्र होगा तबले का

उम्र छोटी पर कर्म बड़े

बेहतर है

लंबा ना चल पाए गर कोई नाता बिन किसी रंजिश के एक खूबसूरत मोड पर उसे छोड़ देना बेहतर है संवाद अगर सुस्ता जाएं मुलाकात अगर ना हो पाएं बिन किसी मलाल के एक खूबसूरत मोड पर छोड़ देना बेहतर हैं अथक प्रयासों के बाद भी दुरुस्त ना कर पाएं तो निरस्त करना बेहतर है

Poem on Zakir Hussain ये कौन गया है महफिल से??(( Sneh premchand))

ये कौन गया है महफिल से??????  जो लय,ताल,गति सब अनमने से हैं आज स्तब्ध है संगीत, मौन हैं स्वर लहरियां, उदास उदास हैं सारे साज़ वाद्य भी बहुत कुछ कह जाते हैं भाव मात्र शब्दों के नहीं होते मोहताज संगीत तो थेरेपी है ऐसी संवार देती है जो हमारा कल और आज सन्नाटे शोर मचा रहे हैं आज एक और रतन खोया है हमने,  चमका जो जग में बन हिंदुस्तान की आवाज शास्त्रीय संगीत की गहराइयों पर दे गए दस्तक ऐसी, पंखों को उनके मिली थी परवाज़ एक और कोहिनूर खो गया हिंदुस्तान संगीत जगत से, अपूरणीय क्षति,दमदार व्यक्तित्व पर सदा ही रहा हमे नाज बुझ गई हिन्दुस्तानी तहजीब की रोशन मिसाल गजब उनकी शख्शियत,हुनर उनका कमाल  उस्ताद नहीं शागिर्द बने रहना सदा पिता अल्लाह रक्खा ने सदा पुत्र को समझाया कितना भी कर लो रियाज कम है हर मोड़ पर अनुभव ने है सिखाया गंगा नदी की तरह, गुरु में सदा ही बहता रहता है ज्ञान यह शिष्य की योग्यता पर है निर्भर, ले बन पाता है कितना विद्वान कोई एक कप,कोई बाल्टी,कोई ट्रक निकालता है अपनी सोच सामर्थ्य का सबका अलग अलग विज्ञान गुरु कभी शिष्य को कुछ नहीं सिखाता,कह ...