यूं हीं चलना साथ साथ जीवन के सफर में ओ हमसफर,हैं तुमसे ही जीवन की खुशियां सारी
हर सफर है मंजिल से भी सुहाना संग तेरे,
मेरे मन मंदिर के ओ पुजारी
लम्हा लम्हा बरस 29 बीते संग तेरे
खिली संग तेरे ही जीवन की फुलवारी
शेष जीवन भी विशेष हो संग तेरे,
अर्ज सुन लेना मेरी बनवारी
कुछ कर दरगुज़र,कुछ कर दरकिनार
यही मूलमंत्र है सुखद दांपत्य जीवन का,
प्रेम ही इस नाते का आधार
खून का नहीं है ये नाता समर्पण,
विश्वाश, सत्य और स्नेह का,
कर के देखो तनिक विचार
हिना सा होता है ये नाता,
जो हौले हौले धानी से श्यामल हो जाता
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