।।फूल और ओस ।।
हे कुसुम!
प्रकृति भी हुई तुम पर निहाल
तुम पर निशाजल की चाँदनी है तानी
या फिर उस मिहिका ने किया तुम्हारा आलिंगन
निखर आई तुम्हारी सुंदरता जैसे हो कोई दुल्हन
सूरज भी अछूता रह ना पाया,
और तुम पर हुआ समर्पित
अपनी चमकीली किरणों से किया है आभायमान
ओस की बूँदें चमक रही हीरा बन तुम्हारी काया पर
आज तुमने भी गहनों का किया आवरण
सुंदरता भी शर्मा उठी तुम्हारे अद्वितीय आभामंडल से
हे प्रसून!! तुम हो बड़े ही सौभाग्यवान
जो ईश्वर ने रचा तुमको बड़ी ही फुर्सत में 🌹
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