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शिक्षक के मायने(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

शि__क्षक शिक्षा संग देता है संस्कार

मात्र अक्षरज्ञान ही देना नहीं दायित्व उसका,अति विहंगम शिक्षक का संसार
शिक्षा का अर्थ मात्र डाटा और सूचनाएं एकत्र करना नहीं है
शिक्षा का अर्थ है सोच,कर्म,परिणाम की त्रिवेणी बहाना विद्यार्थी की अपनी समझ अनुसार

ऐसे सोच समझ विकसित करना है दायित्व शिक्षक का,
निश्चित ही बनेगी फिर सफलता का आधार

क्ष__णभंगुर से इस जीवन में शिक्षक ही समझाता है शाश्वत का सार

क__रुणा,ज्ञान,विज्ञान के बीज करता रोपित,सिखाता मधुर बोली उत्तम व्यवहार
जीवन समर में कुशल योद्धा बना शिष्य को वही तो करता है तैयार
जीवन पथ ना बने अग्निपथ,
बने शिष्य देश का नागरिक जिम्मेदार

गुरुदक्षिणा खुद ही मिल जाती है शिक्षक को,जब शिष्य के सपनों का हो जाता है अनंत विस्तार

संकल्प से सिद्धि तक के सफर में शिक्षक निभाता है अपनी भूमिका 
पूरी शिद्दत से हर बार

प्रेरित करता है शिक्षक,
शिष्य चित में निहित असीमित असीम संभावनाओं का करता है 
परिष्कार
जैसे गुरु वशिष्ठ ने  दिया शास्त्र, शस्त्र दोनों का ज्ञान दशरथ नंदनो को,जाने सत्य सारा संसार

एक बात के बीज रोपित करना है अनिवार्य शिष्य चित में,
कर्म से माने ना कभी भी हार

लक्ष्य निर्धारित कर योजनाबद्ध तरीके से की मेहनत रंग लाएगी एक दिन,
कर्म ही शिष्य का होते सच्चा अलंकार
मेहनत का कोई विकल्प नहीं,
हो सादा जीवन उच्च विचार

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