सागर में जब फैंके कोई कांकरी, फैल जाती हैं लहरें अनंत वर्ता कार
ऐसे ही ह्रदय सिंधु में कोई यादों की कांकरी हलचल मचा देती है बेशुमार
और जब जिक्र तेरा हो मां जाई
वो भोली सूरत वो मीठी बोली
याद आ जाता है तेरा मधुर व्यवहार
कभी गिला ना किया कभी शिकवा ना किया
दिल से दिल के जुड़े थे तार
एक किसी के ना होने से
कितना सूना सूना लगता है ये विहंगम संसार
अत्यन्त ही सुन्दर कृति...क्या ही पंक्ति लिखी है
ReplyDeleteकभी गिला ना किया कभी शिकवा ना किया
दिल से दिल के जुड़े थे तार
एक किसी के ना होने से
कितना सूना सूना लगता है ये विहंगम संसार..
बहुत खूब