बाज औकात भावों का सही साथ नहीं दे पाते अल्फाज
वरना सच्चा तारूफ करा देती तेरा दुनिया से आज
असली परिचय पत्र होता है व्यक्ति का उसके द्वारा संपादित काज
हर काम करती थी पूरी प्रतिबद्धता से,
नेक नीयत मधुर आवाज
फर्श से अर्श तक के सफर में निभाया जग का हर रीति रिवाज
रिश्तों को संभाला,सींचा पल्लवित और पुष्पित किया niz प्रयासों से,बनाया सुंदर हर कल और आज
आने वाली पीढ़ियां कर लें यकीन कोई तुझ सा था धरा पर,
इस लिए लेखन का करती हूं रियाज
मां सरस्वती दे शक्ति सत्य बोलने की,
जाने जग तेरे दमदार व्यक्तित्व का राज
तूं थी तो जीवन में सजता था हर मधुर सा साज
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