मुझे ये तो नहीं पता प्रेम मापने की क्या होती है गहराई
पर इतना जरूर पता है मुझे जिससे प्रेम हो सच्चा,जब वो हो सामने,कोई और तो देता ही नहीं दिखाई
तेरे संदर्भ में यह बात सौ फीसदी उभर कर सामने आई
तेरे अभाव का प्रभाव बता गया तूं खास नहीं अति अति खास थी मां जाई
सबके ही दिलों में ऐसे करती थी बसेरा,जैसे तन संग होती है परछाई
हर सांझ है बांझ तुझ बिन,
हर मोड़ पर तूं याद आई
शब्दों से नहीं भावों से दोस्ती है मेरी,वरना बता देती दिनकर सी दमकती थी मेरी मां जाई
वाह क्या ही लिखा है बहुत बार खुद को ही समझ नही आता की प्रशंसा के वो शब्द कहां से लाऊं जो ऐसी कृतियों को साझा कर सके 🌹.. निशब्द हो जाती हूं
ReplyDeleteशब्दों से नहीं भावों से दोस्ती है मेरी,वरना बता देती दिनकर सी दमकती थी मेरी मां जाई
बहुत सुंदर