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सबके बस की बात नहीं(( उद्गार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

वाणी भी मधुर हो,
व्यवहार भी उत्तम हो

*सबके बस की बात नहीं*

दिल भी अच्छा हो
दिमाग भी अच्छा हो

*सबके बस की बात नहीं*

करुणा भी हो स्नेह भी हो
किसी अभाव का प्रभाव ना हो

*सबके बस की बात नहीं*

दरगुजर भी करना आता हो
दरकिनार भी करना आता हो

*सबके बस की बात नहीं*

विषम हालातों में भी सहज रहना
किसी भी बाधा को बाधक ना बनने देना

*सबके बस की बात नहीं*

किसी भी क्रिया की सही प्रतिक्रिया करना
किसी के कटु वचनों पर भी 
संयम ना खोना

*सबके बस की बात नहीं*

संवाद मधुर,संबोधन मधुर
ना गिला ना शिकवा ना कोई शिकायत

*सबके बस की बात नहीं*

कोई राग न हो कोई द्वेष ना हो
कोई कष्ट ना हो कोई क्लेश ना हो
मन मलिन ना हों,राहें जटिल ना हों
हम सबके हों,सब हमारे हों
इन भावों का समावेश एक ही चित में होना

*सबके बस की बात नहीं*

हर रिश्ते को बखूबी निभाना
कभी नाराजगी चेहरे पर ना लाना
बड़ी से बड़ी बात को भी हंस कर टाल जाना

*सबके बस की बात नहीं*

सरल सहज चित में कभी विकार अहंकार ना लाना
मन में कभी किसी के लिए
कोई ग्रंथि ना पालना
कभी दोषारोपण ना करना,ना कभी भाग्य को कोसना

*सबके बस की बात नहीं*

प्रेम से उपहार लेना और उसकी कद्र करना
दिल खोल कर उपहार देना

*सबके बस की बात नहीं*

हर अंजुमन की रौनक बन जाना
हर विषय की जानकारी रखना
 
*सबके बस की बात नहीं*

अग्निपथ को सहजपथ बनाना
कभी कटाक्ष उपहास ना करना
लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हो जाना
*सबके बस की बात नहीं*

संकल्प से सिद्धि तक के सफर में आलस्य ना लाना
शिक्षा के भाल पर संस्कारों का टीका लगाना
भगति में होती है शक्ति
तन्मयता से भगति करते जाना

*सबके बस की बात नहीं*

छोटी सी जिंदगी में बड़े बड़े काम कर जाना
परदेस में बेगानो को भी अपना बनाना

*सबके बस की बात नहीं*

दिल पर दस्तक,जेहन में बसेरा 
चित में सबके पक्के निशान बनाना
 *सबके बस की बात नहीं*

छोटो संग छोटा,बड़ों संग बड़ा बनना 
बच्चों को बड़े धीरज से एक एक बात खोल कर समझाना

*सबके बस की बात नहीं*

संगीत, कला,साहित्य में इतनी रुचि होना
हर मित्र हर रिश्तेदार को लगता तूं उसकी खास है,
ये अहसास करवाना

* सबके बस की बात नहीं*

सोच को कर्म से 
कर्म को परिणाम से मिलवाना 
 
*सबके बस की बात नहीं*

फर्श से अर्श तक का सफर तय करने पर भी चित को अहंकार मुक्त रखना

 *सबके बस की बात नहीं*

दूसरों में कभी कमी ना देखना
ना उन्हें उनका अहसास करवाना
बेटी रूप में मां की छाया बनना,मां रूप में बेटियों का साया बनना

*सबके बस की बात नहीं*

सबकी सोचना सबकी मदद करना
खुद सागर में होकर भी औरों को साहिल का पता बताना
 
*सबके बस की बात नहीं*

काल के कपाल पर अपने सत्कर्मों से यूं सदा के लिए चिन्हित हो जाना
एक कुशल डिप्लोमेट की तरह यूं जिंदगी के मंच से हौले से चले जाना 
अपनी परेशानी को हर हद तक सहते जाना

*सबके बस की बात नहीं*

सब की गुड बुक्स में रहना
सबकी आंखों का तारा बनना
हर नाते में संतुलन बनाए रखना
 
*सबके बस की बात नहीं*

उच्चारण नहीं आचरण में लामा
कथनी करनी में कोई भेद ना होना

*सबके बस की बात नहीं*

लक्ष्य निर्धारित कर उसी दिशा में सौ फ़ीसदी प्रयास करना
उपलब्धियों पर भी सहजता का दामन ना छोड़ना 

*सबके बस की बात नहीं*

किसी के छोटे छोटे उपहारों और प्रयासों को तवज्जो देना
अपनी बड़ी बड़ी बातों का जिक्र भी ना करना

*सबके बस की बात नहीं*

पर ये सब तेरे बस की बात ताउम्र रहा मां जाई
तेरा नहीं ये तो हमारा सौभाग्य था,मिली इस जन्म में बहन रूप में,
जीवन की सबसे मधुर तूं शहनाई
आगामी पीढ़ियां कर लें यकीन कोई तुझ सा था इस धरा पर,
इसलिए मैने ये लेखनी चलाई

Comments

  1. बहुत ही सुन्दर कविता मैम मानो किसी अप्सरा की सम्पूर्ण खूबियों को साझा.. करती है... अंजु मैम की खूबियों का छायाचित्र. आंखो के सामने बनता है कविता की हर पंक्ति को पढ़कर बनता है
    दिल पर दस्तक,जेहन में बसेरा
    चित में सबके पक्के निशान बनाना

    बहुत ही सुन्दर पंक्तियां 👏👏👏👏

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. Beautiful lines for Anju and complement her personality 👌🏻👌🏻

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