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हर रंग कुछ कहता है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*हर रंग कुछ कहता है
हर रंग की अपनी ही कहानी*

*कभी धूप कभी छांव
ऐसी ही तो होती जिंदगानी*

*माधव सा हो रंगरेज अगर
मन राधा राधा हो जाता है*

*नाता प्रेम का इतना गहरा
राधा नाम कान्हा से पहले आता 
है*

*बरसाने की राधा बसी है 
रग रग में ऐसी,
रोम रोम कान्हा का हो जाता है*

*युगों युगों के बाद भी ये नाता
दिन होली के महक ही जाता है*

*निधि वन का रंग भी बहुत कुछ कहता है
 मिल जाएंगी अनेकों प्रेम निशानी*

*कभी धूप कभी छांव
ऐसी ही तो होती है जिंदगानी*

*मुझे तो इस फागोत्सव का 
यही अर्थ समझ में आता है*
*बेगाने भी हो जाते हैं अपने
हर लम्हा खुशगवार बन जाता है*

*होली पर्व है उल्लास का
अपनत्व के अहसास का*

*होली पर्व है स्नेह अनुराग का
जैसे पुष्प में स्थान हो पराग का*

*होली पर्व है हर मतभेद 
मनभेद  भुलाने का*

*पड गए हैं जो रिश्ते सर्द, 
उनमें गर्मजोशी लाने का*

*होली रंगों की सुंदर रंगोली
है पर्व ये रास रचाने का*

*होली इंद्रधनुष सात रंगों का
 पर्व,प्रेम का अनहद नाद बजाने का*

*होली इंद्रधनुष है 7 रंगों का,
हर रंग कुछ न कुछ खास सार्थक 
सिखाने का*

*स्नेह,सौहार्द,मस्ती,जिजीविषा,
उत्सव,खुशी उल्लास*

*यही तो सात रंग हैं जीवन के 
जो जिंदगी को बना देते हैं 
अति अति खास*

*कोई राग ना हो
कोई द्वेष ना हो*
*कोई कष्ट ना हो
कोई क्लेश ना हो*
*हम सबके हों
सब  हमारे हों*

*इन्हीं भावों को करता समाहित ये पर्व
पर्व बेगानों को भी अपना बनाने का*

*होली पर्व है आम से लम्हों को
 खास बनाने का*

*एक बात आती है समझ
आया समय एक दूजे के रंग में रंग जाने का*

*यही कहते हैं रंग होली के
हो ना चिंता ग्रस्त किसी की पेशानी*
*गिले,शिकवों,शिकायतों के लिए
बहुत ही छोटी है जिंदगानी*

*होली पर्व है अहम से वयम
 की बयार चलाने का*

*तन संग अंतर्मन भी 
प्रेम रंग में भीग जाने का*

*होली पर्व है रूठे हुओं को मनाने का
हर शंका,भय,आशंका भगा सहजता लाने का*

*होली पर्व है बसंत आगमन का
जीवन से पतझड़ चले जाने का*

*चित से हर अहंकार विकार 
मिटाने का*
*एक बात आती है समझ
है ये पर्व चित शुद्धि हो जाने का*

मैने पूछा मस्ती,खुशी,सहजता,उल्लास से रहते हो कहां????
एक ही सुर में मिल कर बोले सारे
और कहां??
 *फाल्गुन की मस्त बयार चलती हर जहां*

होली पर्व  सामाजिक समरसता 
लाने का,
खुल कर जीवन जीने का,
जाति,भेद,उम्र, वर्गभेद भुलाने का उदास चेहरों पर मुस्कान लाने का
बिन किसी पूर्वाग्रह के जीने का
कोई छोटा नहीं कोई बड़ा नहीं
है,
*ये पर्व मैले मनों पर सौहार्द का उबटन लगाने का*

*होली का हर रंग कुछ कहता है
हर रंग की है अपनी ही कहानी*
*गिले शिकवे शिकायतों के लिए
बहुत छोटी सी है जिंदगानी*

*आओ दहन करें होलिका में इस बार सारे विकारों का
यही तो अर्थ होता है इन पावन त्योहारों का*

*आओ रंग दें प्रेम रंग से
हर मन की बदरंग दीवार*
"प्रेम जल की पिचकारी से भर दें
हर दिल में बस प्यार ही प्यार*

*होली पर्व है बड़ा पुनीत
मुझे तो यही समझ में आता है*
*यही कारण है ये पर्व मुझे
सब पर्वों से सर्वाधिक भाता है*


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