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होली के मायने((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*होली पर्व है उल्लास का,
अपनत्व के अहसास का*

*होली पर्व है स्नेह अनुराग का,
जैसे पुष्प में स्थान हो पराग का*

*होली पर्व है
 हर मतभेद मनभेद भुलाने का*

*होली पर्व है सर्द पड़े रिश्तों में गर्मजोशी लाने का*

*होली रंगों की सुंदर रंगोली
होली पर्व है रास रचाने का*

*होली इंद्रधनुष है सात रंगों का
हर रंग है कुछ न कुछ सिखाने का*

*स्नेह,सौहार्द,मस्ती,जिजीविषा,
उत्सव,खुशी,उल्लास*
यही तो सात रंग हैं जीवन के,
जो जीवन को बना देते हैं अति खास

*होली पर्व है आम से लम्हों को खास बनाने का*
*एक बात आती है समझ
आया समय एक दूजे के रंग में
 रंग जाने का*

कोई राग ना हो,कोई द्वेष ना हो
कोई कष्ट ना हो,कोई क्लेश ना हो
मन मलिन ना हो,राहें जटिल ना हों
इन्हीं भावों को करता है समाहित 
 ये पर्व, है सबको अपना बनाने का

हम सबके सब हमारे हों,
आई बेला अहम से वयम की बयार चलाने का

एक बात आती है समझ इस पर्व की,
है ये पर्व चित शुद्धि हो जाने का

कोई छोटा नहीं कोई बड़ा नहीं,
है ये पर्व अनहद नाद बजाने का

होली पर्व है बसंत आगमन का,
पतझड़ के चले जाने का
होली पर्व है अहंकार विकार मिटाने का,
मन की जटिलता दूर हो जाने का

*होली पर्व है एक दूजे के रंग में
 रंग जाने का
होली पर्व है तन संग अंतर्मन भी भीग जाने का*

होली पर्व है रूठे हुओं को मनाने का
हर शंका,आशंका,भय भगा सहजता लाने का

मैने पूछा उल्लास,मस्ती,सहजता,जिजीविषा,मादकता से 
*रहते हो कहां*

एक ही स्वर में मिल कर बोले सारे
*फाल्गुन की पावन बयार चलती है जहां*

होली पर्व है सामाजिक समरसता का,
खुल कर जीवन अपना जीने का
होली पर्व है जाति,धर्म,वर्गभेद भुलाने का

होली पर्व है उदास चेहरों पर मुस्कान लाने का
होली पर्व है बिन किसी पूर्वाग्रह के जीवन जीने का

होली पर्व है संकोच मिटाने का
हर रंग कुछ कहता है,
है हर रंग की अपनी ही कहानी
गिले शिकवे शिकायतों के लिए बहुत छोटी है जिंदगानी

होली पर्व है बड़ा पुनीत,
मुझे तो यही समझ में आता है
यही कारण है ये पर्व मुझे 
सब पर्वों में सबसे अधिक भाता है


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