नमन नमन तुझे बारम्बार*
*करुणा,विवेक,सौंदर्य की त्रिवेणी, मानवता का अद्वितीय श्रृंगार*
*सृजन की मूरत,ममता की सूरत,
प्रेम ही जीवन का आधार*
*तमस में आलोक हो,
पुष्प में पराग हो,
हो शिक्षा तुम,
तुम्ही तो हो संस्कार।।
उत्सव भी तुम हो,
उल्लास भी तुम हो,
हो तुम्ही नारी सारे रीति रिवाज
तुमसे ही बजता है
सृष्टि के हर कोने में,
जिजीविषा का सुंदर साज़
मरियम,सीता,अनुसूया तूँ,
तूँ ही राधा,मीरा ,पांचाली
बहन,बेटी,पत्नी,माँ हर किरदार में उत्तम चलाई तूने कुदाली
घर को मंदिर बनाने वाली,
खुद गीले में रह कर बच्चों को सूखे में सुलाने वाली,
हुआ नतमस्तक पूरा संसार,
नमन नमन हे नारीशक्ति,
नमन नमन तुझे बारम्बार।।
सर्वत्र पांव पसारे तूने,
हर क्षेत्र को कर दिया आबाद,
सीमित उपलब्ध संसाधनों में भी तूने,कर्म का सदा बजाया शंखनाद।।
सबको लेकर साथ चली तुम,निभाया सर्वोत्तम हर किरदार,
संयम,संतोष,कर्मठता की त्रिवेणी,मानवता का अद्भुत श्रृंगार।।
बेटी कभी नही होती पराई,
ये भी सार्थक करके दिखाया,
ताउम्र मात पिता को तूने अपने हिवड़े में प्रेम से बिठाया,
तेरी प्रतिबद्धता, तेरे प्रयासों के आगे जहान ये नतमस्तक हो आया।।
धन्य धन्य हे नारीशक्ति,
शमन कर देती हो सारे विकार,
कोमल हो कमज़ोर नही,
तुझ से ही सजता है संसार।।
नमन नमन हे नारीशक्ति, नमन नमन तुझे बारम्बार।।
सृष्टि की तुम धूरि ही नारी,तुझ से बनता परिवार,
सामंजस्य,संतोष,सहभागिता की त्रिवेणी,मानवता का अदभुत श्रृंगार।।।
सहती भी हो,चुप रहती भी हो,पर अन्याय तुझे नही स्वीकार,
हद से गुजर जाता है जब पानी,चंडी का ले लेती हो अवतार।।
नमन नमन हे नारीशक्ति,नमन नमन तुझे बारम्बार,
दया,विनम्रता,समृद्धि की देवी,हो मानवता का अदभुत श्रृंगार।।
स्नेह प्रेमचन्द
एल आई सी हिसार 1
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