एक ही वृक्ष के हैं हम फल,फूल,पत्ते,कलियाँ और शाखाएं
विविधता है बेशक बाहरी स्वरूपों में हमारे,पर मन की एकता की मिलती है राहें
एक ही प्रेमचमन में हम पनपे,एक ही मात पिता का मिला सुखद साया।
एक ही जैसी परवरिश पाई हमने,एक ही प्रेमगीत गुनगुनाया।।
एक ही घरौंदे से निकले पंछियों ने बेशक अब बना लिए अपने अपने आशियाने,
समय बदला, सोच बदली,प्राथमिकताओं के हैं अब अपने अपने पैमाने।।
Comments
Post a Comment