कर जोड़ हम कर रहे,
परमपिता से यह अरदास,
मिले शांति पा की दिवंगत आत्मा को,
है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।।
शत शत नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि पा को,
वो नही हैं, हो ही नही पाता अहसास,
एक ही नाम था,एक ही काम था,
कितना सुखद था उनके होने का आभास।।
13 बरस बीत गए,उनको हमसे बिछड़े हुए,
कल की ही तो बात लगती है,आते है याद कभी हँसते हुए,कभी बिगड़े हुए।।
जो बीत गया है वो दौर न आएगा,
इस दिल के माँ बाप के स्थान पर कोई और न आएगा।।
समय पंख लग कर उड़ गया,
हम लगाते ही रह गए कयास,
झटका सा लगता है सोच कर पापा नही हैं हमारे पास।।
कोई जगह नहीं ले सकता पापा की
हो चाहे वो कितना ही खास
हर बेटी हर पिता की राजकुमारी होती है दूर रहे चाहे रहे वो पास
पा की दिवंगत आत्मा को मिले शांति,
आज उनके जन्मदिन का है यही उपहार,
कितने अच्छे थे वो दिल के,
बेशक थोड़ा कम करते थे इज़हार।।
भाई अगर करता था तंग तो
पड़ी को शिकायत लगाने का था अधिकार
पापा के साथ अधिकार भी चले जाते हैं करना पड़ता है स्वीकार
जिद्द करने वाली,भाई से लड़ने वाली, छीन झपट कर खाने वाली बेटी मात पिता के बाद अपने ही घर में हो जाती है मेहमान
टेबल जब तक सज ना जाए कुछ
उठा कर खाती नहीं नादान
अचानक ही बड़े से हो जाते हैं पिता के इस जग से जाने के बाद
खोने के बाद पता चलता है क्या खो दिया,आती है बेहिसाब उनकी फिर याद
अभाव का प्रभाव बताता है कोई जीवन में कितना अहम हमारे होता है
पिता तो वह महफूज सा वृक्ष है जिसके साए तले बचपन कभी नहीं रोता है
सब्ज़ी में नमक जैसे,
मिठाई में मिठास जैसे माँ बाप का होता है प्यार,
जब होते हैं तो सब सहज सामान्य सा लगता है, नही होते तब लगता है क्या अनमोल खो दिया,
करते हैं सही में स्वीकार।।
रूठना छोड़ दिया मैने पीहर में
मात पिता के जाने के बाद
वो नजरें नहीं रही जो शक्ल देख हरारत पहचान लें,
आती रही हर मोड़ पर उनकी याद
आज 10 अप्रैल 2024 को फिर मैने अपनी लेखनी चलाई
भूले थे एक बार जन्मदिन उनका,
अब हर जन्मदिन पर कोलाहल करती है तन्हाई
Comments
Post a Comment