कह सके हम
जिन से बात दिल की,
*वही मित्र हैं*
हर धूप छांव में
जो संग खड़े हों
*वही मित्र हैं*
संवाद और संबंध
जिनसे रहें सदा ही मधुर,
*वही मित्र हैं*
जब भी हो मुलाकात
उसमे हो बात
*वही मित्र हैं*
संकोच ना हो जिनसे,
*वही मित्र हैं*
दिल जिनके संग बच्चा रहे सदा,
*वही मित्र हैं*
मन आह्लादित और तन पुलकित रहे संग जिनके,
*वही मित्र हैं*
स्नेह सुमन चित में
खिल जाएं संग जिनके,
*वही मित्र हैं*
मित्र की परिभाषा
मुझे तो यही समझ में आती है
धुंधला होता है जब भी कोई मंजर,
मित्र की छवि सब साफ कर जाती है।।
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