जैसे कूलर में पानी ज़रूरी है
जैसे गुब्बारे में हवा ज़रूरी है
जैसे दिल मे धड़कन ज़रूरी है
जैसे मा में ममता ज़रूरी है
जैसे बीमारी में दवा ज़रूरी है
जैसे सूरज में तेज ज़रूरी है
जैसे प्रकृति में हरियाली ज़रूरी है
जैसे सांस लेने के लिए पवन ज़रूरी है
जैसे चोट पर मरहम ज़रूरी है
जैसे गाड़ी में पेट्रोल ज़रूरी है
जैसे किताब में अल्फ़ाज़ ज़रूरी है
जैसे मटके में मिठास ज़रूरी है
जैसे सावन में बरखा ज़रूरी है
जैसे पलँग पर तकिया ज़रूरी है
जैसे मा के लिए बेटी ज़रूरी है
जैसे पिता में सुरक्षा ज़रूरी है
जैसे प्राणी में करुणा ज़रूरी है
वैसे ही रिश्ता बनाये रखने के लिए संवाद ज़रूरी है।।।।।
जब संवाद खत्म हो जाता है
फिर संबंध पड़ा सुस्ताता है
बात होगी तो बात निकलेगी
मुझे तो इतना समझ में आता है
बहुत खास होता है जो जीवन में हमारे,
बिन बात किए मुझ से तो रहा नहीं जाता है
रूठी हुई खामोशियों से तो लड़ते
झगड़ते झगड़े भले हैं
बाज औकात रूठा हुआ नाता फिर करीब आ जाता है
वाह क्या खूब विवरण प्रस्तुत किया है..सभी वस्तुओं की एक दूसरे पर निर्भरता और अनिवार्यता का.. परिचय देते हुए रिश्ता बनाए रखने के लिए संवाद जरूरी है गहरी बात को बड़े
ReplyDeleteही सरल शब्दों में अभिव्यकि दी है.. बहुत ही खूब!
जैस चाय मे चीनी जरूरी
राही को मंजिल जरूरी है
बेटी के लिए मां जरूरी है
जीवन की सांस के लिए एक आश जरूरी है..
उसी तरह जिया(मुझे))को जीने के लिए स्नेह मेम की हर रोज ऐसी प्यारी प्यारी कविताएं जरूरी है 🫶