सुधार और निखार की हर संभावित संभावना को टटोलना जिसे बखूबी आता है
कोई और नहीं मेरे प्यारे बंधु वो सिर्फ और सिर्फ पिता का नाता है
हमारे सपनों को हकीकत में बदलना जिसे बखूबी आता है
हमारी हर आरजू के लिए वो अपनी जरूरतों की बलि चढ़ाता है
जीवन के अग्नि पथ को पिता ही सहज पथ बनाता है
जिंदगी की हर धूप में जो छाता बन
जाता है
जीवन के चक्रव्यूह से जो हमे पल भर में बाहर ले आता है
हमे हम से ज्यादा जानता है वो
हमसे हमारा परिचय करवाता है
हर संज्ञा सर्वनाम विशेषण का बोध करवाता है
संवाद और संबोधन दोनों भले ही कम होते हों पिता से,
पर नाता दिनों दिन पिता से गहराता है
एक दिन जब हट जाती है छाया पिता की,सर्वत्र अंधेरा हो जाता है
कितनी सुंदर कृति लिखी है, पिता सच
ReplyDeleteदुनिया की सबसे बड़ी दौलत है हम बच्चे जीवन में जो भी है सब उनकी बदौलत हैं .....
पिता बचपन में चलना सीखाने से लेकर जीवन की हर डगर बखूबी पार करवाता है सच में पिता जीवन में विधाता हैं....
अच्छाई और बुराई का अच्छा बोध करवाता है खुद धूप में तपकर हमे छाव में सुलाता है पिता जीवन का विधाता हैं...