*संवाद भले ही कम हों पिता पुत्र के
पर नाता दिनों दिन गहराता है*
*महफूज है हर बचपन पिता के साए तले,
मुझे तो इतना समझ में आता है*
*पिता की रोक टोक भले ही सुहाती नहीं बच्चों को,
फिर संवाद और संबोधन कम हो जाता है*
*फंस जाते हैं जब कभी हम अभिमन्यु से जीवन के चक्रव्यूह में,
मात्र पिता ही हमे बाहर लाता है*
*घेर लेती हैं जब जीवन की परेशानियां कौरव सी,
पिता तत्क्षण मरहम बन जाता है*
*बच्चों की थाली में आजीवन रहे रोटी
पिता तो बस यही सोचे जाता है
पिता की छत्रछाया तले है बहुत ही ठंडक,
ये समझ बाद में आता है*
*इजहार भले ही ना आता हो पिता को करना,
पर पिता पल पल हर पल बच्चों के सुखद भविष्य की सोचे जाता है*
*पिता का बोलना भले ही भला न लगे हमे,पर समय संग हर धुंधला मंजर सपष्ट हो जाता है
पिता से बढ़ कर नहीं कोई हितेषी जग में,पिता हर धूप छांव में ढाल बन जाता है*
*कहते हैं आज पितृ दिवस है
मैं कहती हूं कौन सा दिन है पिता बिन बेफिक्र और सुरक्षित सा,
हर दिवस तो पितृ दिवस बन जाता है*
*जमी है बर्फ जो इस नाते पर बरसों से
क्यों कोई इसे नहीं पिंघलाता है*
*मां जैसे बच्चे पिता से भी साझा करें जज़्बात और हों आलिंगनबद्ध,
चट्टान सा पिता पल भर में मोम बन जाता है
इस पितृ दिवस जा मायने मुझे तो यही समझ में आता है।।
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ReplyDeleteकितनी सुंदर कृति लिखी..... पितृ दिवस पर... पिता हर बच्चे का कीमती साया है ना जाने पिता में बच्चो के लिए कितना अटूट प्यार समाया है.....
ReplyDeleteपिता बिना संसार सिर्फ और सिर्फ मोह माया हैं...
पिता में तो प्यार का भंडार समाया है जीवन में पिता जैसा सच में ना कोई साया है .....
Happy father's day 💜
बहुत ही सुन्दर और सटीक कविता पितृ दिवस पर
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