मौन से करने लगती हूं संवाद मैं
जब भी जिक्र तेरा जेहन में आता है
संवाद में खो जाएं शब्द जब,
ऐसा सदा से ही रहा तुझ से नाता है
जब धड़कन धड़कन संग बतियाती है
हर शब्दावली फिर अर्थहीन हो जाती है
फिर मौन मुखर हो जाता है
ये दिल का दिल से गहरा नाता है
यही कारण है शायद कोई दूर रह कर भी दिल के पास हो जाता है
कोई पास रह कर भी दिल से दूर हो जाता है
लम्हा लम्हा कर ये वक्त गुजरता जाता है
कुछ यादों को तो वक्त भी धूमिल नहीं कर पाता है
काल के कपाल पर चिन्हित हो जाती हैं कुछ घटनाएं ऐसी
जहां वक्त ठहर सा जाता है
कुछ लोग ऐसे होते हैं जिंदगी में,होता है भरपूर स्नेह संग जिनके,
वक्त संग जिनके जाने कहां चला जाता है
अभिव्यक्ति नहीं अहसास रही ताउम्र तूं,
भरी बारिश में जैसे रही तूं छाता है
मुक्कमल सी हो जाती थी जिंदगी तेरे होने से,
अब तो एक बड़ा सा शून्य उभर कर आता है
कितना मसरूफ थी तूं अपनी प्रेम भरी छोटी सी दुनिया में,
प्रेम सुता तेरे जैसे किरदार को भला कौन भुलाता है????
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