Skip to main content

जन्मदिन की बहुत बधाई(( दुआ मां जाई स्नेह प्रेमचंद द्वारा))


60 बसंत देखे तूने, 
तूं जीवन का शतक लगाना
 
शेष जीवन भी हो अति विशेष तेरा
इन्हीं दुआओं का दिल गा रहा तराना

जीवन में सबसे लंबा साथ भाई बहन ही निभाते हैं
इस सत्य को भूल ना जाना

हर धूप छांव में होते वे संग हैं
चाहे साथ हो या ना हो ये ज़माना

घर आंगन चौका दहलीज द्वार सब खुल कर मुस्कुराते हैं
जब भी ये भाई बहनों की चौखट पर आते हैं
मात पिता के अक्स एक दूजे में नजर आते हैं
लगता है जैसे अतीत के झोले में से कुछ लम्हे चुराते हैं


Comments

  1. क्या खूब लिखते हो.. हर कविता की पंक्ति में दिखते हो....
    दिल से दुआ देते हो.. ऐसी दुआ की दिल जीत लेते हो....
    मन भावुक कर देते हो... खुद से खुद को मिलवा देते हो क्या खूब लिखते हो हर कविता में दिखते हो...


    बहुत हीं सुंदर सबसे प्यारी पंक्ति
    60 बसंत देखे तूने तू जीवन का शतक
    लगना...

    भाई बहन का प्यार ही होता है दुनियां का सबसे बड़ा खजाना...
    कभी ना करना इसे बेगाना...
    बनाना इस प्यार का सुंदर आशियाना..
    दुआ है दिल से हर साल 19 जुलाई को आप धूम धाम से जन्मदिन मनाना
    हो आपके जीवन का सफर सुहाना.. हो आप बच्चो के फैवरेट मामा..
    हर पल बने आपके जीवन का सुहाना

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वही मित्र है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...

सकल पदार्थ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत माहि।।,(thought by Sneh premchand)

सकल पदारथ हैं जग मांहि,कर्महीन नर पावत नाहि।। स--ब कुछ है इस जग में,कर्मों के चश्मे से कर लो दीदार। क--ल कभी नही आता जीवन में, आज अभी से कर्म करना करो स्वीकार। ल--गता सबको अच्छा इस जग में करना आराम है। प--र क्या मिलता है कर्महीनता से,अकर्मण्यता एक झूठा विश्राम है। दा--ता देना हमको ऐसी शक्ति, र--म जाए कर्म नस नस मे हमारी,हों हमको हिम्मत के दीदार। थ-कें न कभी,रुके न कभी,हो दाता के शुक्रगुजार। हैं--बुलंद हौंसले,फिर क्या डरना किसी भी आंधी से, ज--नम नही होता ज़िन्दगी में बार बार। ग--रिमा बनी रहती है कर्मठ लोगों की, मा--नासिक बल कर देता है उद्धार। हि--माल्य सी ताकत होती है कर्मठ लोगों में, क--भी हार के नहीं होते हैं दीदार। र--ब भी देता है साथ सदा उन लोगों का, म--रुधर में शीतल जल की आ जाती है फुहार। ही--न भावना नही रहती कर्मठ लोगों में, न--हीं असफलता के उन्हें होते दीदार। न--र,नारी लगते हैं सुंदर श्रम की चादर ओढ़े, र--हमत खुदा की सदैव उनको मिलती है उनको उपहार। पा--लेता है मंज़िल कर्म का राही, व--श में हो जाता है उसके संसार। त--प,तप सोना बनता है ज्यूँ कुंदन, ना--द कर्म के से गुंजित होता है मधुर व...

बुआ भतीजी