ज़रूरी नही हम रोज प्रार्थना करें,पर जब भी करें दिल से।
ज़रूरी नही हम रोज़ ही किसी से मिलें,पर जबभी मिले, अपनेपन से।ज़रूरी नहीं हम रोज़ ही किसी का हालचाल पूछें,पर जब भी पूछें ऑप्चरिक्तावश या ज़िम्मेदारिवश नही,प्रेमवश पूछें,ज़रूरी नही आप हमेशा ही माँ बाप के पहलू में बैठे रहें,पर ये ज़रूरी है यथासम्भव उनको गुणात्मक समय दो,प्रेम दो,ज़्यादा बड़े बनने की कोशिश न करो,छोटा बच्चा बन कर छोटी छोटी ज़िद करो,गले मिलो,दिल की सुनो,दिल की कहो, ये बहुत ज़रूरी है।।
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