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शब्द हैं कान्हा

शब्द हैं कान्हा,तो लेखनी हूँ मैं
नयन हैं कान्हा,तो नूर हूँ मैं।।

अधर हैं कान्हा,तो मुरली हूँ मैं
मांग है कान्हा,तो सिंदूर हूँ मैं।

मीत हैं कान्हा,तो प्रीत हुन मैं
संगीत हैं कान्हा,तो गीत हूँ मैं।

माखन है कान्हा,तो मधानी हुन मैं
राजा है कान्हा,तो रानी हूँ मैं.।

ग्वाला है कान्हा,तो गैया हूँ मैं
ममता है कान्हा,तो मैया हूँ मैं।

मन्ज़िल है कान्हा,तो राह हूँ मैं
कशिश है कान्हा,तो चाह हूँ मैं।

लक्ष्य है कान्हा ,तो प्रयास हूँ मैं
अपने कान्हा के लिए,सच मे खास हूँ मैं।।

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