जिस दिन तूं आई थी धरा पर
नानी ने किया था धरा से प्रस्थान
एक आई एक गई जहां से,
ऐसा ही है विधि का विधान
शुक्रगुजार हूं मैं
ईश्वर और मेरी नानी की,
जो मुझे मिले मां रूप में भगवान
ईश्वर भी हैरान हो गया होगा तुझे बना कर मां,
जाने किस मिट्टी से मां का हुआ होगा निर्माण
गुण ही गुण समाहित हो गए मां के व्यक्तित्व में,
एक भी अवगुण का नहीं मिला नाम ओ निशान
मां बन कर मां मैने यह जाना
मां हमारी थी कितनी महान
आने वाली पीढ़ियां शायद ही यकीन कर पाएंगी
मां तेरा दूजा नाम था समाधान
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ReplyDeleteहृदय को छूने वाली कविता...
ReplyDeleteश्लाघ्य है कृति की एक एक पंक्ति.
सच में मां के नाते से है आपकी बहुत बनती..
तभी तो की जीवन में इतनी की उन्नति..
रूकी ना कभी ये गति क्यूंकि साथ थी मां सावित्री जी संग उनके आपने जीवन में की खूब तरक्की
और गुण ही गुण समाहित है आपके व्यक्तित्व मे भी जो झलकते है आपके कृतित्व में भी जो करते हो मां का इतना अच्छा गुणगान सच में आप भी हो बहुत महान ..
मां होती है आपकी हर कृति की शान
मां और नानी मां का पाया होगा आपने बहुत प्यार तभी मां बन कर जाना है कितना सुन्दर होता है ये अहसास
आपके बच्चो की नानी थी अतिखास
तभी तो आया उन्हें रोहिला परिवार बहुत रास...
शुक्रगुजार हूं मैं ईश्वर की और सावित्री जी की जो लाया आपको धरती पर और मिला मुझे स्नेह मेम जैसे कोहिनोर सा इंसान
Sach mein Maa khaas se bhi khaas hoti hai aur maine to Aunty ko bahut kareeb se dekha hai . Abhi bhi mere Jehan mein unki tasveer hai. Maa beti ka pyaar aur nani dyoti ka yyaar bahut khoobsoorati se darshaya hai tumne meri pyari sakhi 👏🏻👏🏻🌺🌸
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