माँ तुझे सलाम
क्या भूलें,क्या याद करें माँ तेरे काम।
जाने कैसे बनाया होगा तुझ को
न देखा होगा दिन,न देखी होगी शाम।
तुझे बना कर
खुद पर बहुत इतराया होगा भगवान।
फिर कोई प्राणी नही बना पाया
तुझ जैसा,अपनी ही रचना पर
हो गया होगा हैरान।
माँ तुझे सलाम
जननी,जन्मभूमि स्वर्ग से भी बेहतर है
सुना था,पढ़ा था
पर तुझ से जब मुलाकात हुई
कथन को सच का मिल गया अंजाम।
युग आएंगे,युग जाएंगे
आने वाली हर पीढ़ी को
किस्से तेरे सुनाएंगे।
तू ऊपर से सुनना माँ
हम बार बार दोहराएंगे।
माँ तुझे सलाम।
हर शब्द पड़ जाता है छोटा
जब करने लगती हूँ तेरा बखान।
कर जोड़ हम सब देते हैं
माँ श्रद्धांजलि तुझको
शत शत करते है परनाम।
माँ तुझे सलाम।
माँ देख ये तीज फिर से आई है।
नश्वर तन तेरा ले गयी
ये पिछले बरस
पर यादों के झरोखों
को कभी नही लगा सकेगी विराम।।
शोक नही,संताप नही
हम गर्व से माँ तुझ को
सदा यूँ ही करते रहेंगे याद।
सोचना भी सम्भव नही था कभी
कैसा लगेगा माँ के जाने के बाद।।
हर अहसास में माँ तू ज़िंदा है।
सोच में तू,विचार में तू,आचार में तू
व्यवहार में तू
फिर कैसे हम तुम जुदा हुए।
ज़र्रा ज़र्रा कर रहा माँ तुझ को सलाम।
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