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जन्नत की ना करी कभी मन्नत

Comments

  1. Wow क्या लिखा हैं एक एक पंक्ति को पढ़ के मन खुश हो गया....इतना सुंदर लिखना हर किसी के बस की बात नही... कृति ने निशब्द कर दिया इसकी प्रशंसा में जितनी टिप्पणी करू वो थोड़ी ही रहेगी.. लेकिन फिर भी कर देती हूं वरना स्नेह मैम क्या कहेगी???



    सबसे सुंदर पंक्ति कविता की.. कि एक गुजारिश है रब से की मेरी मां को ही हर जन्म मेरी मां बनाना.. बहुत ही सुन्दर दिल को छू गई मेरी मां तो थी व्यवहारिक ज्ञान का खजाना...
    मां में इतने गुणों को खोजना समझना हर किसी के बस की बात नहीं है...
    आप भी हो एक अप्सरा तभी ज्ञान भाव गुण है आपमें खूब भरा
    मां को इतना समझ पाना.. तो है जिंदगी का सबसे बड़ा खजाना मां को समझ जाना मतलब जीने का असली मतलब समझ जाना सम्पूर्ण जग है बेगाना मां ही जीवन का सबसे बड़ा खजाना..

    मां बिन सुबह शाम है वीरान
    मां ही है बच्चे का स्वाभिमान
    करवाती है बच्चे की बच्चे से पहचान
    देती है जीवन जीने का सुंदर ज्ञान
    मां जैसा धरती पर न कोई महान..
    होती है मां बच्चे की जान बसती है मां में गुणों की खान.. मां तो धरा पर सच में भगवान...

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  2. अति सुन्दर! एक एक पंक्ति गहराई से भरी हुई हैं। मां की अहमियत को आपने बेहद खुबसूरत ढंग से समझाया हैं। शायद मां और भगवान को परिभाषित करना, मुस्किल हैं। लेकिन इसका प्रयास मात्र ही अपने आप में बहुत बड़ी बात हैं। और उस में भी आपने इतनी गहराई के साथ लिखा हैं।
    शब्द गलत हो सकते हैं। उनमें कमियां हो सकती हैं। किंतु भाव शुद्ध होते हैं। जो शब्दों के बजाय भाव लिखते हैं, वहां गहराई देखने को मिलती हैं।
    और आपकी एक पंक्ति "दर्द छिपा कर मुस्कुराना" बहुत कुछ बयां करती हैं।
    "आंखो में नमी लेकर मुस्कुराना पड़ता हैं,
    जमाने को, जमाने की अदाओं से बहलाना पड़ता हैं,
    ये तो मां हैं साथ , जिसे हाल बता देती हूं अपना,
    दुनियां के सामने तो सब ठीक ही बताना पड़ता हैं।"

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