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गुरु बिन मिले ना सच्चा ज्ञान(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)


शिक्षक की गोद में ही पलते हैं
प्रलय और निर्माण
गुरु राम कृष्ण परमहंस थे तो
शिष्य विवेकानंद बने अति महान 
अंधकार दूर कर जीवन से
उजाला लाने का गुरु करता प्रावधान

गुरु  चाणक्य ने ही तो
चंदगुप्त मौर्य के चरित्र का किया था निर्माण
शिष्य है कच्ची माटी का ढेला
गुरु ही पका पका कर शिष्य को, लाता है सदा ही सुपरिणाम
प्लेटो ने बना दिया अरिस्टोटल को
सत्य जाने सारा जहान 

हर संभावित सुधार की ओर करता  है अग्रसर शिष्य को,
यही गुरु का शिष्य को इनाम
मैत्रयी,सावित्री बाई फुले का भी शीर्ष पर आता है नाम
शिष्यों को जिंदगी ही नहीं बदल देते गुरु एक ऐसी legacy को दे देते हैं जन्म,
जो युगों युगों तक लाभान्वित होता है यह जहान 
बहुत छोटा है शब्द गुरु के लिए कहना महान

एक हनुमान छिपा होता है हर शिष्य के भीतर
गुरु भली भांति लेता है जान

हर संभावित संभावना को
 पल पल जागता है गुरू 
ऐसा शिष्य गुरु के नाते का विज्ञान

गुरु द्रोण थे तो
 सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बने अर्जुन
पर एकलव्य संग उनके व्यवहार में पक्षपात का होता है भान

गुरु शक्ति है गुरु प्रेरणा है
गुरु बिन मिले ना सच्चा ज्ञान
स्नेह संग सम्मान हो गुरु के लिए सदा चित में,
सच में गुरु गुणों की खान
यही काम नहीं गुरू का
देना मात्र शिष्यों को अक्षरज्ञान
शिक्षा भाल पर लगे टीका संस्कारों का
संकल्प मिले सिद्धि से ऐसा गुरु करे आह्वान
आत्मविश्वास जगाना,प्रेरणा देना,साधन 
मुहरिया करवाना करे गुरु सब ये निष्काम
गुरु दक्षिणा में चाहिए गुरु को शिष्य का सच्चा प्रयास,लक्ष्य के लिए उसकी प्रतिबद्धता और एक निश्चित समय के लिए ऐश ओ आराम का बलिदान

शिष्य के अवगुणों को दूर कर
गुणों को उजागर करने का सच में होता
गुरु का काम
यूं हीं तो नहीं कहा गया
सात दीप नौ खंड में गुरु से बड़ा ना कोय
गुरु सागर हम बूंद हैं कल्याण गुरु से होय 

हमारी प्रतिभा को पहचान कर
ला देता है जो इसमें निखार
वही तो सच्चा गुरु है
वही है तारणहार

मां से बढ़ कर मुझे तो सच में
कोई गुरु नजर नहीं आता
मां बच्चे का इस जग में है
सबसे सुंदर सबसे प्यारा नाता

गुरु वेद व्यास ने श्री सुखदेव को
गुरु नानक ने भाई बाला को
तानसेन ने बैजू बांवरा को
रवि शंकर ने जॉर्ज हैरिसन को 
दिया था जैसा विविध क्षेत्रों में
गुरु का ज्ञान
तराश तराश बना दिया हीरा
जानो क्या है जीवन में गुरु का स्थान

शिष्य में भी हो ग्रहण करने की क्षमता
गुरु शिष्य नाता समझे ये पूरा जहान 
विश्वामित्र ने गढ़ा दशरथ नंदनों को
राम शक्ति से जग नहीं अनजान
एक नहीं चारों दिशा में गूंजे
जय श्री राम जय श्री राम

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