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लग जाती है लागी जब राम नाम की(( स्तुति स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

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    1. चित्त, चेतना, चेष्टा, चितवन और सचित्र---सभी राममय सुन्दर स्नेह की

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  2. अरे भाई कितना सुन्दर लिखते हो आप मैम ... मुझे मेरी हर टिप्पणी कम लगती है आपके कृति के आगे....


    राम नाम का इतना सुन्दर बखान करना हर किसी के तो बस को बात नही है ये वही कर सकता है जो खुद राम जैसी बुद्धि आचरण चित का हो...
    तभी तो ऐसी कृति संभव हो...
    बखान क्या करू मैं इस कृति का हर एक पंक्ति मैं छुपा है खजाना भक्ति का


    नज़र नही नजरिया बदल जाता है जब राम नाम की लागी लग जाती है लगता है ऐसा जैसे कोयल सावन में मीठा गाती है राम नाम की लागी चित को बड़ा सुहाती है...


    सौ बात की एक बात नियती नेक हो जाती है हर भटकन को मंजिल मिल जाती है... ये बात भी मेरे रूह को भाती हैं...

    मन करता है हो रामायण जैसी ही एक राम कहानी किताब मिले जिसे "स्नेह के हृदय में राम” का खिताब पाए दुनियां की हर प्रसिद्धि ये किताब
    तभी पूरा हो मेरा तो भगवान के साथ हर हिसाब 💖

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    1. इतनी अच्छी टिप्पणी मिले तो लेखन बढ़िया हो ही जाता है

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  3. Bhut pyara likha huya h apne 🥰❤️

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