अपने भाग्य को आप ही लिखने की कला कान्हा ने जग को सिखाई है।
कृष्ण अपने भाग्य के थे स्वयम ही भाग्यविधाता,ये बात धीरे धीरे सब को समझ मे आयी है।
कारावास में जन्मने वाले ने गीता विश्व को सुनाई है।
प्रकृति,समय और कर्म के तमाम सिद्धान्तों पर अपना मुकाम पाने वाली की बांसुरी ने मोहक तान बजाई है।
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