फिर से आ जाओ ना माधव
फिर कोई दुष्ट दुशासन आया है
फिर किसी द्रौपदी का मान हरा है
तन मन उद्वेलित हो आया है
उजियारे ने आने से कर दी मनाही,घना अंधेरा छाया है
भले ही तान सुनाओ ना किसी बांसुरी की,
वक्त सुदर्शन चक्र चलाने का आया है
फिर से आ जाओ ना माधव
फिर किसी कंस ने आतंक मचाया है
कर दो दमन बुराई का अब
सिर पर पानी चढ़ आया है
फिर से आ जाओ ना माधव
फिर कोई नाग कालिया आया है
डस रहा है जो पूरी मानवता को,
विषैला घना अंधेरा छाया है
एक नहीं जाने कितने ही अभिमन्यु फंसे हैं चकव्यूह में,
आकर माधव उन्हें राह दिखाओ
भूल गए हैं जो गीता ज्ञान लोग,
आप आकर फिर से दोहराओ
भटक गए लोगों को सही राह पर लाने का वक्त अब आया है
फिर से आ जाओ ना माधव
फिर कोई दुष्ट दुशासन आया है
जब जब होती है हानि धर्म की
ले अवतार तूं आया है
धर्म की स्थापना के लिए,
साधुओं की रक्षा के लिए
कहो कौन सा रूप तुझे भाया है??
सृष्टि को रचने वाली ही नहीं सुरक्षित अब,
मन खौफजदा हो आया है
भीष्म मौन सा साधा है जिसने,
शर शैया को ही बिछौना बनाया है
आहें,बद दुआ,चीख पुकार
सुनने से कैसे करोगे माधव इंकार
सबको निर्भय कर दो माधव
आए ना चित को अब तो करार
एक चीस सी उठती है सीने में
एक लहर दर्द की,सीने में गुब्बार
मत करो माफ 99 गलती किसी शिशुपाल की,
एक ही गलती पर समय चक्र चलाने का आया है
शब्द मौन हैं भाव हैं घायल
अवरुद्ध कंठ में शोर समाया है
हटा दो मलिन मनों से धुंध कुहासे
समय ये ऐसा आया है
जो जिंदगी दे सकती थी जाने कितनों को ही,
उसकी जिंदगी को किसी वहशी दरिंदे ने हराया है
फिर हो ना पुनरावृति ऐसे अपराधों की,इसलिए तुम्हे बुलाया है
फिर से आ जाओ ना माधव,
फिर कोई दुष्ट दुशासन आया है
फिर पथभ्रष्ट हुआ है कोई दुर्योधन
मोल रिश्तों का जिसे समझ नहीं आया है
राज पाठ और धन संपत्ति को
जिसने प्राथमिक बनाया है
दे दो गीता का ज्ञान फिर से,
मानव लगता डगमगाया है
हरो तमस,लाओ उजियारे
जन जन ने तुम्हें बुलाया है
फिर से *शांति दूत* बनो माधव
बुराई का कर के खात्मा अच्छाई स्थापित करने का समय आया है
पूजा भले ही ना करो नारी की,
पर स्नेह,सम्मान,सुरक्षा पर तो अधिकार है उसका,
मेरी छोटी सी समझ को इतना
समझ में आया है
फिर से आ जाओ ना माधव
फिर कोई दुष्ट दुशासन आया है
कितने ही शकुनी फैंकते हैं
जाने कैसे कैसे पासे
इन पासों से बचने का वक्त अब आया है
महाभारत से इस चित को रामायण बना दो ना माधव
हर भाव लगता जैसे अकुलाया है
पाक रहे दामन सबका,
नारी ने तो सृष्टि को बनाया है
फिर से आ जाओ ना माधव
फिर किसी द्रौपदी ने तुम्हे बुलाया है
क्या ही लिखूं मैं मेरा हर शब्द इस कृति के आगे फीका है ये कृति तो आज की मानवता को समझाने बड़ा ही खूब तरीका है
ReplyDeleteसबसे अहम पंक्ति ही मेरी रूह छू गई
फिर से आ जाओ ना माधव
फिर कोई दुष्ट दुशासन आया है
कितना घोर कलयुग इस समय छाया है फिर से आ जाओ ना माधव इन कुरीतियों से जो हमे अब बचा सके वो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपका साया है
पूजा भले ही ना करो नारी की,
पर स्नेह,सम्मान,सुरक्षा पर तो अधिकार है उसका,
मेरी छोटी सी समझ को इतना
समझ में आया है
और ये इतना जिसको भी समझ आए
वही मनुष्य धरती पर भगवान के घर से आया है बाकी सब तो सिर्फ़ और सिर्फ़ दानवों का साया है
जो जिंदगी दे सकती थी जाने कितनों को ही,
उसकी जिंदगी को किसी वहशी दरिंदे ने हराया है
फिर हो ना पुनरावृति ऐसे अपराधों की,इसलिए तुम्हे बुलाया है
रूह छूने वाली पंक्तियां
माधव तुम्हे हमने अब सच में है हृदय तल से बुलाया है बस अब नारी को जो इन दुष्टों से बचा सके वो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपका साया है बिन आपके असुरक्षित नारी की काया है