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Meaning of love( thought by Sneh premchand))


Love is care,concern, security,respect,friendship, assurance,company, faith,space,responsibility & commitment

Love repairs every distort & hurt emotion in a very natural way love is balm on a wound

Love is hope love is life

Love enhances our capabitites,capacity,desire,
confidence,strength emotionally as well as phisically& inner beauty that reflects in our personlity.

Love is not always to get
It is to give.
When u r giving ur expectations r less
No expectation no clash

Love is to respect one's 
Individuality one's privacy

Love is to recognize the qualities & flaws after that to enhance our qualities and  to remove bad habits

Love is never forceful
It is spontaneius but warm

Kindness & senstivity r two sisters of love,softness & sweetness r parents

Love explores all possible  hidden abilities & helps us to  perform best in our life

Love stands firm in every sun & shadow
It shines in salt & sugar of our life

As time passes love grows like hina more and more darker day by day

Love inculcates good habits  and strong bond फेविकोल का जोड़

*मैं हूं ना*
 only these three words depicts the essance of love

Love is not the pressure
It is smooth like rain water
Limitless like sea water
A constant flow like river water& deep like well water

Love is strong connection between two souls not two bodies 

Love is never conditinal 
It is overflow if powerfulfeelings

Love is therapy,a powerhouse,vaccine & oxigen of life

Love changes our attitude,our priorties, our thougth process 

Love can creat miracles
Love can awake our inner powers

प्रेम मापने का मुझे तो एक ही पैमाना समझ में आता है
जब वो होता है सामने फिर कोई और नजर नहीं आता है
राधा कृष्ण प्रेम है सर्वोपरी 
राधा देखती है जब दर्पण
अक्स कान्हा का नजर आता है

*बाकी प्यार को प्यार ही रहने दो
इसे कोई नाम ना दो*




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