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Showing posts from September, 2024

मुबारक मुबारक

हिंदी की व्यथा(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कल रात 13सितंबर सपने में मेरी  मां हिन्दी से हुई मुलाकात उदास चेहरा,बुझी बुझी सी आंखे देखकर पूछा मैंने, बतलाओ ना मां क्या है बात??? कल तो 14 सितंबर है मां,  कल का तो खास है दिन  और खास है रात  कल तो आपको  अगणित विशेषणों की मिलेगी  अनुपम सौगात दिन भर होंगे उत्सव आयोजन, बड़ी बड़ी पदवी और महिमामंडन की मिलेगी सौगात हर नेता अभिनेता करेगा बात तुम्हारी,करतल ध्वनि की चल पड़ेगी बारात लंबी सी सांस खींच बोली हिंदी देखो एक दिन की महारानी बना कर   नहीं बदल सकते हालात मैं चाहती हूं भोर होते ही  सब हिंदी में ही बोलें सुप्रभात मैं तो नस नस में हूं तुम सबके, जैसे सावन में होती  बरसात हर मां की लोरी में हूं मैं हूं मैं दादी नानी की कहानी में कहां नहीं हूं मैं?????? हूं हर दिल ए हिंदुस्तानी में क्या पूरे साल में मेरे लिए तुन्हे दिन एक ही मिला है?? मुझे बस आप लोगों से  यही गिला है अपने ही देश में मुझे  आप लोगों ने बना दिया मेहमान दुख होता है देख कर मेरे बारे में है बच्चों को कितना अल्प ज्ञान 79,89 को नहीं बोल पाते ताउम्र, अंग्रे...

लम्हा लम्हा गुजर गया वक्त

उपहार मात्र उपहार नहीं होता

जीवन के साथ भी(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

युग आएंगे

राम तो पहले से ही हैं कण कण में(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

संतुष्टि,विश्वाश

जिज्ञासा हेतु आगमन(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

बुद्ध शिक्षा का सार

माना वक्त भुला देता है सब कुछ

आज जन्मदिन है प्यारी पावनी का

आज जन्मदिन है इनका, आए इनके जीवन मे सदा बहार मिले खुशी,सफलता,सुख,समृद्धि और मिले हम सब का प्यार रोहिल्लास और कुमार्स की नन्ही कली तुम, तुमसे घर का आँगन गुलज़ार करते थे,करते है,करते रहेंगे  तुम्हे प्यार हम सब बेशुमार, कबूल करो आज दुआएँ लाडो हमारी, देखो दुआओं का लग रहा अंबार देख तुम्हारी चारू चितवन, हो जाते हैं सुंदर दीदार करता है मन करें प्रकट, ऊपरवाले का आभार, आयी जो तुम आँगन में हमारे, समा हो गया गुलज़ार, महकती रहना,चहकती रहना, प्रेम ही जीवन का आधार समय तो निश्चित रूप से लेगा अँगड़ाई, कभी पनपे न कोमल चित्त में  कोई विकार ओ मेरी लाडो बिटिया रानी, खिले ऐसा पौधा मन मे तुम्हारे, जाने जो करुणा,सहयोग,अहिंसा और परोपकार जिस आंचल का श्रृंगार हो तुम देवी का होता रहा उसमे दीदार लेखनी ने तो कह दी दिल की, बस कर लेना इसको स्वीकार।। लम्हा लम्हा बीते बरस 14 जिंदगी  सिखाती गई हर बार एक दुआ है यही ईश्वर से, खुश रहे तूं और तेरा परिवार तेरे हर संकल्प को मिल जाए सिद्धि  हर ख्वाब को हकीकत के हों दीदार

चौदह बरस की प्यारी पावनी

भगत सिंह व्यक्ति नहीं विचार हैं (( श्रद्धांजलि स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

स्नेह की स्नेह भरी दुआएं(( दुआ मौसी द्वारा))

याद रहे ये 28 सितंबर

हिंदी राष्ट्र का गौरावगांन

हिंदी मात्र की बिंदी

साहित्य का आदित्य है हिंदी

स्त्री सुरक्षा संवैधानिक एवम सामाजिक दायित्व(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*आज की शक्ति है नारी, सुंदर मन और सुंदर विचार ज्ञान की देवी,रूप का सागर, नारी ही सृष्टि की सृजनहार स्त्री सुरक्षा के संवैधानिक एवम सामाजिक दायित्व से  हर नारी का हो साक्षात्कार* जीवन की प्रथम और सच्ची पाठशाला नारी ही सपनों को आकार देती है।माटी के ढेले की तरह हर रूप में नारी ढल जाती है।उच्चारण और आचरण में एकरूपता रखने वाली नारी कोमल भले ही हो सकती है परंतु कमज़ोर नहीं।परिवार,समाज,देश को बखूबी संभालने वाली नारी मां,बहन,बेटी,पत्नी,शिक्षिका हर रूप में बेजोड़ है। प्राचीन युग से वर्तमान युग तक नारी संघर्ष की गाथा बहुत लंबी है।आजादी के 77 वर्षों बाद भी अधिकाश महिलाएं संवैधानिक सुरक्षा अधिकारों से अनभिज्ञ और वंचित हैं,फलत: किसी न किसी शोषण का शिकार हो जाती हैं। आज हर महिला को अपने अधिकारों के विषय में जागरूक होने की नितांत आवश्यकता है। नारी शक्ति के अथक प्रयास ही तो हैं जो चंद्र यान मंगल ग्रह पर तिरंगा फहराता है।सागर से भी गहरी नारीशक्ति अपार अनंत है।नारी शक्ति का लोहा तो पूरा जग मान कर शीश झुकाता है।कभी कभी इंसान मानव ना बन कर दानव बन नारी का शोषण करता है।यही कारण है कभी दिल्ली,कभी मणिपुर...

राधा ने जब देखा दर्पण(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

राधा ने जब देखा दर्पण अक्स कान्हा का नजर आया दो नहीं एक हैं दोनों मुझे तो इतना समझ में आया मुख से बोला राधे राधे मन कृष्ण कृष्ण हो आया मुरली की तान में राधा कृष्ण की धड़कन में राधा वृंदावन की गलियों में राधा प्रेम का इतना प्यारा स्वरूप हर निर्मल चित को भाया राधा से जब पूछा किसी ने कैसा है तुम्हारा लाना से नाता राधा ने जो दिया उत्तर,युगों युगों के बाद भी, वह हर चित जन जन को भाता कृष्णा हैकन्हा तो आवाज हूं मैं गीत है कन्हा तो साज हूं मैं रीत हैं कान्हा तो रिवाज हूं मैं भाव हैं कान्हा तो अल्फाज हूं मैं नयन हैं कान्हा तो नूर हूं में हाला हैं कान्हातो सरूर हूं में भाव हैं कान्हा तो अल्फाज हूं मैं कंठ हैं कान्हा तो आवाज हूं मैं अधर हैं कान्हा  तो मुरली की तान हूं मैं मांग हैं कान्हा  तो सिंदूर की आन हूं मैं मीत हैं कान्हा तो प्रीत हूं मैं संगीत हैं कान्हा तो गीत हूं मैं माखन हैं कान्हा तो मधानी हूं मैं राजा है कान्हा तो रानी हूं मैं ग्वाला हैं कान्हा तो गैया हूं मैं ममता हैं कान्हा तो मैया हूं मैं मंजिल हैं कान्हा तो राह हूं मैं कशिश हैं कान्हा तो चाह हूं में