बिन माँ के हुए 8 बर्ष--
5 august 2016
माँ तुम्हें गए
हो गए आज आठ साल
आज भी हूँ अंदर तक खाली खाली
सहरा में ठंडक सी मां,
पूरे जहां में सबसे निराली
मां पास हो जब हमारे
रोज ही होती है होली दिवाली
सुना है वक़्त भर देता है
हर ज़ख्म
पर भूल न पाई
कभी तुम्हारी जुदाई
कौन सी ऐसी भोर सांझ है
जब मां तूं ना हो मुझे याद आई
तेरे वजूद से हो तो अस्तित्व है मेरा
पर तुझ जैसे गुण मैं सहेज ना पाई
तुम्हारी नसीहतों हिदायतों के पुलिंदे
रखे हैं मन में समेट कर
जब भी कहीं
अटकती हूँ/भटकती हूँ
दिखाते हैं रोशनी
तेरी नसीहतों के दीये
फिर भी खो जाता है मन
घुप काले अंधेरों में
फिर घने तमस में बन उजियारा
तुम ऐसे आती हो जैसे किसी
झरोखे से आते हैं सूरज की रोशनी में नृत्य करते से धूलि कण
आता है जेहन ने तेरा विराट व्यक्तित्व जिसके आगे मेरा कद बौन्ना हो जाता है
किसी अभाव का प्रभाव ना हुआ मां तुझ कर,
तुझे कर्मों से भाग्य बदलना आता था
बहुत कुछ है सीखने को तुझ से,
पर तुझ सा कहां बना जाता है
चाहे कहो इसे मेरा
अल्हड़पन या मेरी इच्छा
इक बार सिर्फ इक बार
सपनों में सही
आँचल की छाया में
कुछ पल तो बिठा जा
माँ
आठ साल हो गए मां तुझे विदा हुए
मां बन कर मां मैंने है जाना।कितना मुश्किल है दर्द छिपा ऊपर से मुस्काना
थकान सी होने लगी है जो
उसे सुकून की मरहम लगा दो
मेरी माँ
मैं फिर से बेफिक्री की नींद सोना चाहती हूं मां
Superb
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