बेटी दिवस को क्यों ना इस बार कुछ ऐसे मनाएं
बेटी सुरक्षित हो वतन में हमारे,
गण और तंत्र दोनों की जिम्मेदारी बनाएं
कोई बेटी ना हो अपमानित द्रौपदी सी कभी
सब माधव बन कर आगे आएं
क्यों इंतजार करें हम आएंगे कान्हा,
बांसुरी नहीं सुदर्शन चक्र चलाए
दमन हो बुराई का सदा के लिए,
मन भीतर से सबके निर्मल हो जाएं
हो ना कभी दागदार दामन किसी बेटी का,
इस मुहिम का सब हिस्सा बन जाएं
सब निर्भय हों सब सुरक्षित हों
ऐसा विश्वाश हर बेटी में जगाएं
तब ही मनेगा सही मायने में बेटी दिवस,ऐसी अलख जन जन में जगाएं
फिर ना दहले कभी दिल्ली,कभी मणिपुर कभी कलकत्ता
फिर ऐसी घटना कोई ना दोहराए
बचेगी बेटी तभी तो पढ़ेगी बेटी
पढ़ेगी बेटी तो आगे बढ़ेगी बेटी
उच्चारण नहीं इसे आचरण में लाएं
शिक्षा भाल पर संस्कारों का ऐसा
टीका लगाएं
कोई बेटी नहीं पराई,
दूजे की अस्मत अपनी ही पाएं
ऐसी सोच कर्म परिणाम की त्रिवेणी
क्यों ना मिल कर हम सब आगे बहाएं
फिर बेटी दिवस मनाने की कोई जरूरत ना होगी,
ऐसी सोच का दीपक घर घर में जलाएं
अत्यंत ही बेहतरीन कृति... पढ़ का मन को मिले संतुष्टि इतना तो मुझे है बस कहना आप हो एक अच्छी मां बेटी और बहना जो जानती है हर बात को कृति से बेहतरीन कहना आपकी ये समझ भाव सभी है सबसे बड़ा गहना
ReplyDeleteबेटी दिवस पर इतनी सुंदर कविता लिख कर हर दिन को बेटी दिवस बना दिया
बेटी की सुरक्षा देश की सबसे बड़ी जिम्मेदारी
बेटी सुरक्षा नही तो ये है समाज शासन के साथ गद्दारी
बेटी होती है हर घर की रोशनी
बेटी के होने से ही हर लम्हा है घर का चासनी...
सबसे अनमोल मोती तभी सभी से अलग है बेटी होती