*आज की शक्ति है नारी,
सुंदर मन और सुंदर विचार
ज्ञान की देवी,रूप का सागर,
नारी ही सृष्टि की सृजनहार
स्त्री सुरक्षा के संवैधानिक एवम सामाजिक दायित्व से
हर नारी का हो साक्षात्कार*
जीवन की प्रथम और सच्ची पाठशाला
नारी ही सपनों को आकार देती है।माटी के ढेले की तरह हर रूप में नारी ढल जाती है।उच्चारण और आचरण में एकरूपता रखने वाली नारी कोमल भले ही हो सकती है परंतु कमज़ोर नहीं।परिवार,समाज,देश को बखूबी संभालने वाली नारी मां,बहन,बेटी,पत्नी,शिक्षिका हर रूप में बेजोड़ है। प्राचीन युग से वर्तमान युग तक नारी संघर्ष की गाथा बहुत लंबी है।आजादी के 77 वर्षों बाद भी अधिकाश महिलाएं संवैधानिक सुरक्षा अधिकारों से अनभिज्ञ और वंचित हैं,फलत: किसी न किसी शोषण का
शिकार हो जाती हैं। आज हर महिला को अपने अधिकारों के विषय में जागरूक होने की नितांत आवश्यकता है।
नारी शक्ति के अथक प्रयास ही तो हैं जो चंद्र यान मंगल ग्रह पर तिरंगा फहराता है।सागर से भी गहरी नारीशक्ति अपार अनंत है।नारी शक्ति का लोहा तो पूरा जग मान कर शीश झुकाता है।कभी कभी इंसान मानव
ना बन कर दानव बन नारी का शोषण करता है।यही कारण है कभी दिल्ली,कभी मणिपुर और कभी कलकत्ता नारी के प्रति अमानवीय हरकतों से दहल जाता है।
भारतीय संविधान में महिलाओं की सुरक्षा सम्मान के लिए अनेक प्रावधान हैं।
*1946 में संयुक्त राष्ट्र महिला हैसियत आयोग की स्थापना हुई
*10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकार की अवधारणा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित की गई।इसमें कहा गया कि विश्व के समस्त राष्ट्रों के प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानपूर्वक जीवन यापन का अधिकार है।महिला अधिकारों की जागरूकता हेतु विश्व स्तर पर प्रमुख प्रयास किए गए।
*प्रथम विश्व महिला सम्मेलन मेक्सिको में 1975 को हुआ
*द्वितीय विश्व महिला सम्मेलन कोपेनहेगन में 1980 में हुआ
*तृतीय नैरोबी में 1985 में हुआ
*चतुर्थ बीजिंग में 1995 में हुआ
भारतीय संविधान में उल्लेखित
महिलाओं के अधिकारों की जानकारी हर महिला को होनी बहुत जरूरी है।
समानता का अधिकार__भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 सबको समानता का अधिकार देता है। हर महिला सुरक्षा की हकदार है।लिंग के आधार पर महिलाओं संग भेद भाव नहीं किया जा सकता
शिक्षा का अधिकार___भारतीय संविधान अनुच्छेद 21A में 6से 14 के बीच सब बच्चों को उनके लिंग की परवाह किए बिना मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार की गारंटी देता है।यह अधिकार सुनिश्चित करता है की लड़कियों की शिक्षा तक
एक समान ही पहुंच है और वे अपनी पूरी क्षमता विकसित कर सकती हैं
काम का अधिकार== भारतीय संविधान का अनुच्छेद 16 महिलाओं सहित सार्वजनिक रोजगार के मामलों में समानता के अधिकार की गारंटी देता है।मतलब यह की महिलाएं पुरुषों के समान ही रोजगार केपट अवसरों की हकदार हैं।लिंग के आधार पर उनके साथ रोजगार मिलने में भेद भाव नहीं किया जा सकता।
स्वतंत्रता का अधिकार__ भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उत्त अधिकार की गारंटी देता है।यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि महिलाएं अन्याय और भेदभाव के खिलाफ बोल सकती हैं और शांतिपूर्ण विरोध और प्रदर्शनों में भाग ले सकती हैं।।
संपति का अधिकार==भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में महिलाओं सहित सभी नागरिकों को संपति का अधिकार दिया है।आशय है कि महिलाओं को पुरुषों के समान ही संपति का स्वामित्व,विरासत और निपटान का अधिकार है।उनके लिंग के आधार पर कोई भेद भाव नहीं किया जाएगा
स्वास्थ्य का अधिकार==अनुच्छेद 21 में महिलाओं को सुरक्षित और सस्ती स्वास्थ्य सेवा मिले।लिंग आधारित हिंसा,भेदभाव और असमानता अभी देश के कई हिस्सों में है।महिलाएं जब तक अपने संवैधानिक अधिकारों के बारे में जागरूक नहीं होंगी तब तक उनके साथ भेद भाव और शोषण की प्रकिया जारी रहेगी।
तमस में आलोक और पुष्प में पराग सी नारी करुणा,विवेक और सौंदर्य की त्रिवेणी है।मानवता का अद्वितीय श्रृंगार है।सृजन की मूरत,ममता जी सूरत नारी ही उत्सव और उल्लास है,रीति रिवाज है,नारी से ही सृष्टि के कर कोने में जिजीविषा का सुंदर साज
बजता है।
जब ऐसी होती है नारी फिर उसकी उपेक्षा,अनादर,शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं हो सकता।
महिला के लिए संविधान में वर्णित हर धारा से नारी को अवगत होना चाहिए।धारा 354,361,372,375,292,509,
498 हर धारा महिला के सुरक्षित भविष्य के लिए और उसके संवैधानिक अधिकारों के लिए ही है।
महिलाओं की दशा सुधारने के लिए भारत सरकार ने 1985 में महिला एवम बाल विकास विभाग,1992 में
राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन किया गया।8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर क्षेत्र में महिला की उपलब्धियां पहचानने के लिए ही बनाया जाता है इसलिए भी मनाया जाता है
ताकि नारी शक्ति अपने हर अधिकार से जागरूक हो।2001 को भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण वर्ष भी घोषित किया गया है।
बालिका समृद्धि योजना,किशोरी शक्ति योजना,बालिका बचाओ योजना,इंदिरा महिला योजना इसी दिशा में सार्थक प्रयास हैं।।
अनुच्छेद 39 में महिला के लिए आर्थिक न्याय हेतु,समान कार्य समान वेतन का प्रावधान है।अनुच्छेद 42 में महिला को विशेष प्रसूति अवकाश का प्रावधान है 243 में हर पंचायत में एक तिहाई हिस्सा महिलाओं के लिए है।325 में महिला जो समान मताधिकार का अधिकार है।
धारा 375 में बलात्कार को परिभाषित किया गया है 376 में ऐसा अपराधी के लिए दंड का प्रावधान है।
संविधान में नारी अस्मिता की रक्षा हेतु अनेक नियम हैं।
नारी सुरक्षा क्यों नहीं हो पाती यदि हम इसके मूल में जाते हैं तो पाते हैं कि इसका आरंभ बच्चों के परिवेश और परवरिश से होता है।लिंग के आधार पर परिवार में कोई भेद भाव ना हो,जिन घरों में बेटों को बेटी से अधिक प्राथमिकता दी जाती है वहां भेद भाव का अंकुर प्रस्फुटित होने लगता है।मात पिता और घर के हर सदस्य का यह नैतिक दायित्व है बेटा बेटी को मात्र एक नजर से ही नहीं एक नजरिए से देखने की आवश्यकता है।भ्रूण हत्या शायद इसी का परिणाम है। दहेज प्रथा का हमारी सोच से ही उन्मूलन हो जाए तो बेटी के जन्म के समय मात पिता को कोई चिंता ना हो
बेटियों को भी रोजगार के समान अधिकार मिले, हर क्षेत्र में नारी आज अपना परचम लहरा रही है।
स्वर्णमयी सी चेहरे पर आभा,
लबों पर सदा मधुर मुस्कान
कैसी भी चाहे आए मुश्किल
निकाल ही लेती हो समाधान
सोच, कर्म,परिणाम की त्रिवेणी युगों युगों से बहती आई है।इसलिए समाज में नारी के लिए सकारात्मक सोच,स्नेह,सम्मान बहुत जरूरी है।संकल्प से सिद्धि तक के सफर में कभी हार नहीं मानती।नारी बहुत अच्छे से जानती है कर्म ही व्यक्ति का सच्चा अलंकार और परिचय पत्र होते हैं।मां मातृभूमि और मातृभाषा तीनों ही सम्मान की अधिकारिणी हैं।जब
समाज के हर व्यक्ति को ऐसी सोच होगी,नारी को अपने संवैधानिक अधिकारों की जागरूकता होगी,निश्चित रूप से एक स्वस्थ सोच के भारत का निर्माण होगा।
महिला के बौद्धिक,सामाजिक,मानसिक और शारीरिक विकास का दायित्व गण और तंत्र दोनों की है।
बदलेगी सोच तो बदलेगा समाज
बेहतर नहीं बेहतरीन होगा नारी का कल और आज
स्नेह प्रेमचंद
शाखा हिसार 1
उच्च श्रेणी सहायक
7988821974
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