माधव नहीं आते हर बार
फिर क्यों करना इंतजार
दामन ना हो दागदार किसी का
हो हर नागरिक जिम्मेदार
गली गली में खड़े दुशासन
चित में पनप रहे विकार
बचेगी नारी तो पढ़ेगी नारी
सुरक्षा सबका है अधिकार
पूजा भले ही ना करो नारी की
पर अस्मत ना हो उसकी तार तार
तन ही नहीं रूह भी हो जाती है रेजा रेजा,अपंग सा लगता है संसार
भली भांति आने लगता है समझ
माधव नहीं आते हर बार
आम जन अब आए आगे
भ्रष्ट व्यवस्था में हो गाढ़ा सुधार
दंड का प्रावधान हो ऐसा,
बुरा करने से पहले सोचे
व्यक्ति सौ सौ बार
गण और तंत्र दोनों ही हों जिम्मेदार
सृष्टि की रचना करने वाली,
जिंदगी की जंग जाए ना हार
शिक्षा मात्र अक्षरज्ञान ही है
जब तक इसके भाल पर नहीं सोहते संस्कार
सोच,कर्म,परिणाम की
त्रिवेणी बहती आई है सदा से,
सही सोच का हो जेहन में सबके संचार
हम भी समझे तुम भी समझो
माधव नहीं आते हर बार
बेटी दिवस तभी हम सही मायने में मनाएंगे
जब हर बेटी सुरक्षित होगी वतन में,
सच्ची होली दिवाली बनाएंगे
बेटियों को सही मायने में फिर मिल जाएंगे अधिकार
मुरली की तान भले ही ना सुने वे,
सुदर्शन चक्र का समझे मूल आधार
क्या खूब लिखा है... मुझे तो निशब्द ही कर डाला हर एक एक पंक्ति रूह को छू गई सही कहा हर बार माधव नही आते अब इन दुश्मनों को खुद से करो तार तार... बेटी है सबसे बड़ी सुरक्षा की हकदार
ReplyDeleteसृष्टि की रचना करने वाली,
जिंदगी की जंग जाए ना हार
सबसे सुंदर पंक्ति