गांधी जी की पाती विश्व के नाम
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सुनो सुनो एक पाती आई है
गांधी जी की विश्व के नाम
बड़ी सारगर्भित है यह पाती
दे रही हमें बड़ा अदभुत सा ज्ञान
करिश्माई व्यक्तित्व के स्वामी गांधी जी,
सरल,सीधा उनकी सोच का विज्ञान
हर संकल्प को सिद्धि से मिलाने का,
सुनो सुनो क्या बोल रहे हैं
हमारे बापू राष्ट्रपिता महान
*अहिंसा परमो धर्म हमारा*
जाने सत्य सकल जहान
चाहे कितनी भी विकराल परस्थिति,
हिंसा नहीं उसका समाधान
भारत ही नहीं,
बांचे और देश भी,
चाहता हूं मैं जग कल्याण
*बुरा ना देखो,बुरा ना सुनो,
बुरा ना कहो*
मेरे तीनों बंदरों का यही फरमान
अंतर्मन में छिपे रावण का
दमन कर लो,काम तो आयेंगे
रघुपति राघव राजा राम
कोई राग ना हो,कोई द्वेष ना हो
कोई कष्ट ना हो,कोई क्लेश ना हो
पनपे ना चित में किसी के कोई विकार
सब निर्भय हों,सब स्वस्थ हों
मिले सबको रोटी,कपड़ा,मकान, रोजगार
यही तो मैं चाहता हूं बस
अहम से वयम की चले बयार
कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति को
भी जब मुहैया होंगी ये सुविधाएं,
तभी वतन को लोकतांत्रिक कहने का अधिकार
सबल हाथ थाम ले निर्बल का,
ऐसा हो जाए संसार
मैं ही नहीं,मेरा पड़ोसी भी सुखी हो
इसी सोच का हो संचार
*स्वच्छता को सब अपनाएं
आपसी प्रेमसुमन से महके सब,
जीवन हो सबका गुलजार
जाति पाति का कोई भेद ना हो
अहम से वयम की चले बयार
आएं हैं हम इस जग में तो
प्राणिजगत से करें हम प्यार
धोती, लाठी,चश्मा,चरखा,
खादी
तुम्हें मेरी याद दिलाते होंगे
भौतिक सुख ही नहीं होते हैं प्राथमिक,
अवश्य यह पाठ पढ़ाते होंगें
दिल से पढ़ लेना यह पाती,
कर लेना तनिक इस पर विचार
देख रहा हूं मैं ऊपर से,
कम हो रहा आपस में प्यार
लड़ रहें हैं देश आपस में ही,
जिंदगियां मौत के सामने रही हैं हार
द्वेष दावाग्नि से झुलस रहा है
त्राहि त्राहि कर रहा संसार
कहीं कोई शकुनी खेल रहा है
सत्ता की शतरंज, द्वंद दुदुंभी
से चहुं ओर है हाहाकार
हर युग में प्रासंगिक हैं
बंधुओं मेरी ये शिक्षाएं
सच में मैं प्रसन्न हो जाऊंगा,
दिल से आप अगर अपनाएं
सौ बात की एक बात है
प्रेम ही हर रिश्ते का आधार
आपके राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
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