विशवास की ज्योत कभी बुझे ना,
दोनो हाथों से निगम सदा देता है सहारा।
सुख हो चाहे दुख की बदली
सुख दुख दोनो को ही निगम ने स्वीकारा।
सच्चा साथी है ये,मात्र नही है ये एक वितीय संस्थान।
भावनाओं से जुड़ा है ये लोगों की,है एक अलग इसकी पहचान।
ज्यूँ पर दीवाली का होता है सबका
यूँ ही निगम भी सब का सच्चा है हितैषी।
चाहे किसी गली,किसी कूचे
किसी प्रान्त के हो भारतवासी
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