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मेरी नजर में(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मेरी नजर में मां से बेहतर नहीं धरा पर  ईश्वर कीकोई और सौगात

मां भोर दोपहर सांझ जीवन की,
नहीं, मां की ममता से सुंदर कोई भी जज़्बात

असीमित संभावनाओं का असीम अनंत सा मां होती है सागर,
सच में कायनात धन्य हो जाती है मां को पाकर

जब सब पीछे हट जाते हैं,
 तब मां बढ़ कर आगे आ जाती है,
चाहे कैसे भी हों हालात।
मेरी नजर में तो मां से बेहतर,
नहीं धरा पर ईश्वर की कोई भी सौगात।।

रीत है रिवाज है,शिक्षा संस्कार है मां
सौ बात की एक बात है हर रिश्ते का आधार है मां

जीवन के सूखे मरुधर में 
मां शीतल सी बरसात
जीवन धन्य सा हो जाता है,
हो जाए जो मां से मुलाकात

हमारी हर उपलब्धि
 हर असफलता में संग संग रहती है,
सच में मां है तो सुंदर ही पूरी कायनात।।
मां वात्सल्य का कल कल बहता हुआ झरना,
मां सच में सबसे सुंदर जज़्बात।।

हमे हमसे बेहतर जानती है मां,
जीवन की प्रथम शिक्षक है मां,
सबसे खूबसूरत अहसास है मां,
जिंदगी का परिचय अनुभूतियों से
करवाती है मां,
अपनी जान पर खेल कर,
 हमे इस जग में लाती है मां,
मां बन कर चलता है पता,
मां की होती है सुंदर हर बात।
मुझे तो इस धरा पर मां ही आती है नज़र ईश्वर की सबसे सुंदर सौगात।।

मैने भगवान को तो नहीं देखा,
पर जब जब देखा मां की ओर,
नजर आई कोई दैविक शक्ति साक्षात।
मां सहजता और धीरज का पर्याय,
नहीं मां से सुंदर कोई भी जज़्बात।।
        स्नेह प्रेमचंद
        हिसार हरियाणा

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