Skip to main content

जन्मदिन मुबारक (( विचार जिया सोनी द्वारा))

Happy Birthday Mam

 *स्_* नेह, करुणा,उतम व्यवहार हैं आपके प्यारे  संस्कार 
 यह मुस्कान हमेशा आपके होठों पर रहे बरकार

 *ने_* क हृदय, उच्च विचार चित में जिसके ना कोई विकार
 ऐसी अप्सरा ने लिया था आज ही के दिन धरा पर अवतार 
कुछ दर गुजर किया आपने
 कुछ किया दरकिनार 
सुख समृद्धि कुशल स्वास्थ्य दे दस्तक आपके द्वार

 *ह*_र दिन, हर वार, हर त्यौहार हो   आपका खुश ग्वार
जीवन में मिले आपको खुशियां अपार
 आज जन्मदिन पर जिया दे रही है आपको दुआएं हजार,
 सभी के जन्मदिवस देते हो आप रचना का अमूल्य उपहार 
आप ही के आदर्शों से मैने भी एक प्यारी रचना आप के लिए तैयार 
है ये आपके लिए उपहार कर लेना मेरी प्यारी मैम इसे हृदय से स्वीकार

लग जाए जिसको आपकी कविता की लागी हो जाए उस व्यक्ति का चित खुश, और उच्च विचार
 हर बात को देते हो आप रचना से सभी के हृदय में उतार 
बेहतर नहीं बेहतरीन है मैम आपका किरदार हैं 
छिपे आपके व्यक्तित्व में गुण अपार आप जियो हजारों साल मिले आपको खुशियां बेशुमार

Happy Birthday Mam

जिया सोनी

jiyasonio412@gamil.com

Comments

  1. दीदी के व्यक्तित्व को उजागर करते हुए अति उत्तम विचार 👌👌

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वही मित्र है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...

बुआ भतीजी

सकल पदार्थ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत माहि।।,(thought by Sneh premchand)

सकल पदारथ हैं जग मांहि,कर्महीन नर पावत नाहि।। स--ब कुछ है इस जग में,कर्मों के चश्मे से कर लो दीदार। क--ल कभी नही आता जीवन में, आज अभी से कर्म करना करो स्वीकार। ल--गता सबको अच्छा इस जग में करना आराम है। प--र क्या मिलता है कर्महीनता से,अकर्मण्यता एक झूठा विश्राम है। दा--ता देना हमको ऐसी शक्ति, र--म जाए कर्म नस नस मे हमारी,हों हमको हिम्मत के दीदार। थ-कें न कभी,रुके न कभी,हो दाता के शुक्रगुजार। हैं--बुलंद हौंसले,फिर क्या डरना किसी भी आंधी से, ज--नम नही होता ज़िन्दगी में बार बार। ग--रिमा बनी रहती है कर्मठ लोगों की, मा--नासिक बल कर देता है उद्धार। हि--माल्य सी ताकत होती है कर्मठ लोगों में, क--भी हार के नहीं होते हैं दीदार। र--ब भी देता है साथ सदा उन लोगों का, म--रुधर में शीतल जल की आ जाती है फुहार। ही--न भावना नही रहती कर्मठ लोगों में, न--हीं असफलता के उन्हें होते दीदार। न--र,नारी लगते हैं सुंदर श्रम की चादर ओढ़े, र--हमत खुदा की सदैव उनको मिलती है उनको उपहार। पा--लेता है मंज़िल कर्म का राही, व--श में हो जाता है उसके संसार। त--प,तप सोना बनता है ज्यूँ कुंदन, ना--द कर्म के से गुंजित होता है मधुर व...