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Poem on daughter हर आंगन में धूप भला कहां खिलती है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

हर आंगन में धूप कहां खिलती है?????????????????????
 जीवन में सच भाग्य से ही बेटी मिलती है
वरना हम भी जाने,तुम भी जानों
हर आंगन में धूप कहां खिलती है

*घर आंगन दहलीज है बेटी*
*सब रिश्तों में सबसे अजीज है बेटी*
*पर्व,उत्सव,उल्लास है बेटी*
*शिक्षा संस्कार तहजीब है बेटी*
बेटी है तो फिर सांझ भी बड़े हुनर से ढलती है
तुम भी जानो,हम भी जाने
हर आंगन में धूप कहां खिलती है??
परिवेश भले ही बदल जाए उसका,
पर उसकी हर चितवन चित हरती है
बाबुल के आंगन में खिली कली 
साजन के घर बन पुष्प खिलती है
जीवन में सच भाग्य से ही किसी को बेटी मिलती है

बेटा होने पर थाली तो हम
 बड़े जोर जोर से बजाते हैं
पर जीवन की शाम ढले जिंदगी के कोलाहल बेटियों को ही सुनाते हैं
बेटी सी जन्नत भला धरा पर और कहां मिलती है??????

बेटी को ठंडक कहें तो अतिशयोक्ति ना होगी,
बेटी सी शीतलता जीवन की हर तपिश को हरती है
जीवन में सच बेटी बड़े भाग्य से ही मिलती है
कौन कहता है बेटी होती है पराई
बेटी तो दूर होकर भी दिल के पास रहा करती है
सब जानती है पर अपनी तकलीफ भला कहां वह कहती है???
बहुत गहरी होती हैं जड़ें बेटी की,
बहुत गहराई तक वह रहती है

बिन कहे ही जान लेती है सब,
उसे आँखें पढ़ना भी बखूबी आता है
मात पिता के शौक पूरे करना एक बेटी को दिल से भाता है
बेटी सी कली किस्मत वालों के चमन में ही खिलती है
तुम भी जानो,हम भी जाने
बेटी भाग्य वालों को ही मिलती है
इस सत्य से रूबरू है जमाना
हर आंगन में धूप भला कहां  खिलती है??????
        स्नेह प्रेमचंद
         हिसार हरियाणा

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