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सच हम कभी भी मोहम्मद रफी जी को भुला नहीं पाएंगे(( विचार स्नेह प्रेम चंद द्वारा))


*सुरों का सरताज* कहूं या कहूं *शहंशाह ए तरन्नुम* एक दो नहीं
जाने कितनी ही उपाधियों से रफी जी नवाजे जाएंगे

*उम्र छोटी पर गायिकी बड़ी*
लोग यही समझ बस पाएंगे
कोई इतना अच्छा भी गा सकता है
अपने कानों को यकीन दिलाएंगे
*मखमली आवाज बेताज बादशाह*
 को सब छुटने अपने बिठाएंगे

कलाकार जग से भले ही चले जाएं पर जेहन से उन्हें कभी निकाल नहीं पाएंगे
अपनी तिलस्मी आवाज और सुरों के जादू से पूरे ही ब्रह्मांड को कर दिया संगीतमय,भला कैसे इसे भुला हम पायेंगे

*सात सुरों में से एक सुर कम हो गया* ऐसा कहा था नौशाद ने उनके जाने के बाद
उनकी कमी कभी पूरी नहीं हम कर पाएंगे

११ स्वरों और ३३ व्यंजनों में नहीं वह क्षमता जो बता सकें कैसा गाते थे रफी जी,उनके गीत उनकी कहानी खुद सुनाएंगे

Comments

  1. अति उम्दा.. क्या खूब लिखते हो हर बात को अहसास को ऐसे जहन में उतार देते हो जैसे लिखा गया है जिस
    व्यक्ति बारे मे मानो हम उनके सामने बैठे हो... इतनी अच्छी अभिव्यक्ति
    हर व्यक्ति नहीं कर सकता..
    महान हस्ती के बारे में लिखने वाला इन्सान भी बहुत बड़ी हस्ती होता हैं जिसके भाव अच्छे नीयत अच्छी सोच अच्छी उच्च विचार हो वही इतनी अच्छी कविता की रचना कर सकता है
    हिन्दी संगीत जगत के तानसेन है मोहम्मद रफी तारीख यही बताती है कौनसा तीर नही था उनके तरकश में
    हर भाव का गीत उनकी गायकी गाती है ...
    बहुत ही सुन्दर पंक्ति
    मुहम्मद रफी की हर एक खूबी ये कविता गाती है..
    उनके भाव उनके गीत और विचार पढ़ने वाले के दिल तक पहुंचाती है
    पढ़ कर ऐसे लगता है जैसे हर पंक्ति आपके दिल से आती है तभी तो आपको कविता मेरे दिल को बहुत बहुत भाती है

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