तुम भी जानो,हम भी जाने
बेटी भाग्य वालों को ही मिलती है
घर आंगन,दहलीज है बेटी
हर नाते में सबसे अजीज है बेटी
उत्सव,उल्लास,शिक्षा,संस्कार तमीज है बेटी
विनम्रता,अपनत्व,जिजीविषा,
तहजीब है बेटी
बेटी जैसी जन्नत तो किस्मत वालों को मिलती है
तुम भी जानो हम भी जाने
हर आंगन में भला धूप कहां खिलती है?????
वसीयत नहीं उसे स्नेह चाहिए अपनों का,
अपने बचपन के लम्हे वह बाबुल के आंगन में आज भी खोजा करती है
ले लेती है जिम्मेदारी हंस कर,
अधिकार वह भला कब मांगती है
मानों चाहे या ना मानों
बेटी भाग्य वालों जो ही मिलती है
स्नेह,संवेदना,सुखद स्पर्श,मधुर वाणी और उत्तम व्यवहार है बेटी
पढ़ लेती है नयनों की भाषा
जीवन की नैया की पतवार है बेटी
प्रेम,परवाह,कर्तव्य,प्रीत,रीत
जीवन का सबसे मधुर सा गीत है बेटी
लफ्ज ही नहीं लहजे भी पहचान लेती है पल भर में
कर्णप्रिय जीवन संगीत है बेटी
एक बात आती है समझ में
पुण्य कर्मों की दुआएं निश्चित ही फलती है
सर्वविदित है सच्चाई
बेटी भाग्य वालों को ही मिलती है
कौन कहता है बेटी होती है पराई
अपनत्व की खुशबू तो बेटी में पल पल बढ़ती है
तुम भी जानो,हम भी जाने
हर आंगन में भला धूप कहां खिलती है
थाली तो हम बेटा होने पर बड़े जोर जोर से बजाते हैं
पर सांझ ढले जिंदगी के कोलाहल बेटियों को ही सुनाते हैं
लक्ष्मी,सरस्वती दुर्गा है बेटी,
बेटी है तो जिंदगी सपने बड़े प्यारे प्यारे से बुनती है
तुम भी जानो हम भी जाने
हर आंगन में भला धूप कहां खिलती है
तपते मरुधर में जैसे
शीतल सी बयार है बेटी
सूखे पतझड़ में जैसे
सावन की बहार है बेटी
जीवन के इस अग्निपथ में
सहज पथ सा बन जाती है बेटी
पढ़ लेती है नयनों की भाषा
हर संभव खुशियां लाती है बेटी
जिंदगी के एक मोड पर बेटी
मां की मां बन जाती है
बेटी सुकून है ठंडक है
आशा की रोशनी बेटी लाती है
बेटी है तो हर दुआ मात पिता की फलती है
तुम भी जानो हम भी जाने
हर आंगन में भला धूप कहां खिलती है
मां की परछाई,पिता के कालजे की कौर,भाई की जान सबसे सुखद अहसास है बेटी
सबसे धनवान है वह इस जग ने
होती जिसके पास है बेटी
कभी नहीं आता पतझड़ उस आंगन में बेटी जहां पर पल ती है
मानों चाहे या ना मानों
हर आंगन में भला धूप कहां खिलती है
बदल गई है सोच,बदल गया है जमाना,
बेटी तो मात पिता को अब अपनी सबसे अनमोल सी पूंजी लगती है
सौ फीसदी सत्य बात है
बेटी भाग्य वालों को ही मिलती है
Very heart touching ❣️
ReplyDeleteअत्यंत ही सुन्दर कविता...
ReplyDeleteश्रघाल्य है हर पंक्ति का एक एक शब्द रूह को स्पर्श देता है...
बेटी के महत्व को भली भांति दर्शाती है ये कविता ...
बहुत खूब 👌🏻
घर आंगन,दहलीज है बेटी
हर नाते में सबसे अजीज है बेटी
उत्सव,उल्लास,शिक्षा,संस्कार तमीज है बेटी
विनम्रता,अपनत्व,जिजीविषा,
तहजीब है बेटी..
बेटी है इस धरा का सबसे बड़ा स्वाभिमान...
माता पिता का सबसे बड़ा सम्मान..
बिन बेटी घर नही होता ,होता है वो मकान...
मुझे तो बस है इतना ही भान..
बेटी से ही रोशन है ये जहान✨
हर कविता को प्राकृतिक तत्व से जोड़ना और फिर इसे प्रस्तुत करना आपके लेखन की बहुत अच्छी खूबी है जो पढ़ने वाले व्यक्ति पर एक सकारत्मक प्रभाव छोड़ती है...