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Showing posts from 2025

आता था आनंद तुझे

हुई भोर

कड़वा सत्य

अभिव्यक्ति

मन के भीतर रावण है मन के भीतर राम

राम सिर्फ एक नाम नहीं

प्रेम

आओ जाने

सबसे नाता है

कड़वा है

कभी कभी

सबके चित में राम है

कड़वा है मगर सत्य है

तूं है नहीं,नहीं होता यकीन

जन्मदिन की बहुत बधाई

जन्मदिन मुबारक ओजस्वी(( दुआ स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

जन्मदिन पर जन्म देने वाले मात पिता भी  बधाई के होते हैं उतने ही हकदार मानो चाहे ना मानो हमारी जिंदगी के सही मायने में वही होते हैं शिल्पकार बच्चे के जन्म के साथ जन्म देने वाले मात पिता का भी जन्म होता है जिम्मेदारी संग वे ही देते हैं हमें अधिकार मात पिता हैं तो  जिंदगी हर मोड़ पर मुस्कुराती है मात पिता हैं तो  हर जिद्द बड़ी तमन्ना से पूरी हो जाती है मात पिता हैं तो  हम हक से रूठा करते हैं मात पिता हैं तो  सपने हकीकत से रूबरू हुआ करते हैं मतभेद भले ही हो जाए पर मनभेद कभी मात पिता से नहीं होता हमें हम से ज्यादा जानते हैं वे, उनके बेहतर हमारा खैर ख्वाह कोई नहीं होता बनते हैं जब हम मात पिता उस समय हमें मात पिता की अहमियत समझ में आती है जाने कितने ही पिछले जन्मों का होता होगा यह नाता मेरी समझ यही मुझे समझाती है जो हमें पल भर भी दूसरे कमरे में नहीं छोड़ते उन्हें जिंदगी के किसी भी मोड पर छोड़ने की बात कहां से हमारे जेहन में आती है मात पिता की दुआओं से बढ़ कर जिंदगी में कोई सुखद अहसास नहीं होता वे तो इस धरा पर हैं देहधारी विधाता हमारे लिए, उनसे अधिक अच्छा सच...

बाबा भीमराव अंबेडकर

कड़वा

रास्ते

कड़वा

कड़वा है मगर सत्य है

कुछ लोग दीमक की तरह होते हैं

कर्म ही परिचय पत्र हैं व्यक्ति का(( विचार स्नेह प्रेम चंद द्वारा))

ए मेरे वतन के लोगों

शत शत नमन

कड़वा है मगर सत्य है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कड़वा है मगर सत्य है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

अपने ही घर बेटियां हो जाती हैं मेहमान(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

थाली तो हम बेटा होने पर बड़ी जोर जोर से बजाते हैं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

चलो मन

चलो मन  चलें अयोध्या वहां मिलेंगे हमें श्री राम मन अयोध्या होगा तो कहीं भी मिल जायेगें राम चलो मन राम शरण में वहां मिलेंगे तुम्हें हनुमान जहां राम हैं वहां हनुमान हैं राम आराध्य भगत हनुमान

क्या भूलूं क्या याद करूं

पिता है तो अधिकार मुस्कुराते हैं

आज जन्मदिन है पा का 10/04/2025

सच में महक ही रहे हो आप आज भी आपके अस्तित्व से ही तो अस्तित्व है हमारा सच में पिता है तो बाजार का हर खिलौना अपना है जाने सच्चाई  जग सारा सामर्थ्य से अधिक किया आपने,कर्तव्य कर्मों से ना किया कभी किनारा आय बढ़ाओ बेहतरीन जीवन के लिए,ऐसी ही सोच को सदा विचारा वह तपती दोपहरी में गेहूं लेने जाना फिर भी पेशानी पर परेशानी ना लाना,आज वही पुराने किस्से दोहराते हैं  एक बार भूले थे सब जन्मदिन आपका,अब तो हर 10 अप्रैल को आप याद आते हैं जब मात पिता बच्चों को गुण दोषों दोनों संग अपनाते हैं फिर हम बच्चे क्यों उन्हें सही गलत ठहराने के न्यायधीश बन जाते हैं जरा सोचिए

सिखा गए महावीर

संकल्प मंडल पत्रिका 2024/2025

कैसे कह दूं

चंद लफ्जों में कैसे कह दूं??? मां जाई तेरी अद्भुत कहानी अनुकरणीय तेरी सोच,कर्म,परिणाम की त्रिवेणी अनुकरणीय तेरा व्यवहार,नज़रिया और बोली यूं हीं तो नहीं होती दुनिया किसी की दीवानी जब जब भी खोलती हूं घुंघट अतीत का जेहन में घूमती हैं तेरी निशानी खुद मझधार में होकर भी सह का पता भला बताता है कौन?? पर तूं बताती थी अक्सर,होती है सोच सोच हैरानी किसी अभाव का तुझ पर प्रभाव ना था बल्कि अभाव से तो निखरा ऐसा अदभुत स्वरूप तेरा,तेरी पेशानी पर कभी ना दिखी कोई परेशानी *जैसी राम जी की मर्जी* कहती थी सदा ऐसे पारदर्शी तो ऐसी जैसे होता है पानी छोटों में छोटो सी,बड़ों में बड़ी सी,तेरे जाने से तो लगता है *लाभ गगन का धरा की हानि* काल के कपाल पर चिन्हित हो गई सदा के लिए तूं ऐसे जैसे राजा के लिए होती है रानी तूं है नहीं,नहीं होता यकीन जिंदगी और कुछ भी नहीं, है सच तेरी मेरी कहानी तूं धार ही नहीं नदिया की तूं तो सागर रही मां जाई हर भोर थी उजली तुझ संग हर शाम लगती थी सुहानी

जिंदगी और कुछ भी नहीं

अभिनव पहल

कभी कभी

कभी कभी वक्त के हाथ से कोई लम्हा ऐसे फिसल जाता है फिर बन जाती है कभी ना भूली जाने वाली दास्तान मुझे तो इतना समझ में आता है काल के कपाल पर कुछ लोगों को ईश्वर सदा के लिए चिन्हित कर जाता है *उम्र छोटी पर कर्म बड़े* तेरा जीवन यही तो बताता है दिल में करुणा,दिमाग में ज्ञान  जेहन में स्नेह और परवाह तेरे ऐसे रहा मां जाई जैसे सुर का सरगम से नाता है कहती नहीं थी तू कर देती थी ईश्वर तुझ जैसे लोगों को फुर्सत में बनाता है सर्वगुण सम्पन्न लोगों को मगर लंबी उम्र देना भूल जाता है देस में ही नहीं परदेस में भी बना लेती थी तूं सब को अपना, तेरा उद्बोधन और संबोधन  दोनों ही अति उम्दा रहे,ज़र्रा ज़र्रा ये बताता है किसी की वाणी अच्छी होती है किसी का व्यवहार और किसी का जान पर तीनों ही बेहतरीन रहे हैं जिसके,वह अंजु कुमार थी बड़ी महान कोई  कितना खास होता है जीवन में, यह अभाव का प्रभाव बताता है छोटों में छोटी सी,बड़ों में बड़ों सी, तेरा तो चित,चितवन,चरित्र,चित्र,चेतन,अचेतन सब सुहाता है पर्वों में दिवाली सी, प्रकृति में हरियाली सी तुझ से तो दिल का नाता है तेरा चरित्र तो मां जाई हम सब को क...

सार्थक करने आ जाते हैं अपना इतवार 29/3/2025

आपके संस्कार बोलते हैं 26/03/2025 स्नेह प्रेमचंद

आजादी की मशाल जला दी