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Showing posts from February, 2025

आजकल झूठ बोल देती हूं

संजीवनी सी मुस्कान संजीव जी आपकी(विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*संजीवनी सी मुस्कान संजीव जी  आपकी* कुदरत का आपको अनमोल उपहार *सर्विस विद स्माइल*को सार्थक करती, सकारात्मकता का करती संचार *कर्म ही असली परिचय पत्र होते हैं व्यक्ति का* वरना एक ही नाम के व्यक्ति होते हैं हजार किसी का काम अच्छा होता है किसी की वाणी अच्छी होती है किसी का अच्छा होता है व्यवहार तीनों हीं अच्छे नहीं  अति अच्छे हों जिनके, संजीव जी का नाम हैं उनमें शुमार *निर्जीव को जो सजीव बना दे* *निराशा में आशा दीप जला दे* ऐसा विहंगम व्यक्तित्व आपका *कुशल नेतृत्व,उत्तम संस्कार* और अधिक अब क्या कहना?? *सादा जीवन उच्च विचार* अच्छे पुत्र,भाई,पिता,पिता,हमसफर, कार्यकर्ता का निभाया सदा  बखूबी किरदार *सहयोग ही सच्चा कर्मयोग है* जानते हो जिम्मेदारी संग ही  मिलते हैं अधिकार *हंसमुख,हेल्पफुल, ज्ञानी,मिलनसार* चार स्तंभ ये आपके व्यक्तित्व के न कोई कपट,क्लेश ना द्वंद न अहंकार और परिचय क्या दूं आपका???? फर्श से अर्श तक के सफर में आ गया समझ जीवन का सार आपका अनुभव तो बोलता ही है और बोलता है आपका व्यवहार मीठी बोली और मधुर मुस्कान ही रहे सदा आपका सच्चा अलंकार अपनी ...

नहीं मिलते अब भरत से भाई(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*सुई की नोक के बराबर भी जमीन नहीं दूंगा* शांति प्रस्ताव ले कर गए माधव को दुर्योधन ने यह कटु वाणी सुनाई कितना भीषण रक्तपात और हुआ नर संहार,रुदन क्रंदन की सिसकी आज भी देती है सुनाई *विनाश काले विपरीत बुद्धि* उक्ति ये सार्थक हो आई एक ओर भरत को देखो नहीं छुआ सिंहासन,मां ने जिसके लिए अपनी पूरी शक्ति लगाई चरण पादुका ला कर भाई राम की १४ बरस वही सजाई भरत सा बनना दुर्योधन सा नहीं बात ये इतनी समझ में आई