कभी कभी वक्त के हाथ से कोई लम्हा ऐसे फिसल जाता है
फिर बन जाती है कभी ना भूली जाने वाली दास्तान
मुझे तो इतना समझ में आता है
काल के कपाल पर कुछ लोगों को ईश्वर सदा के लिए चिन्हित कर जाता है
*उम्र छोटी पर कर्म बड़े*
तेरा जीवन यही तो बताता है
दिल में करुणा,दिमाग में ज्ञान
जेहन में स्नेह और परवाह तेरे ऐसे रहा मां जाई जैसे सुर का सरगम से नाता है
कहती नहीं थी तू कर देती थी
ईश्वर तुझ जैसे लोगों को फुर्सत में बनाता है
सर्वगुण सम्पन्न लोगों को मगर
लंबी उम्र देना भूल जाता है
देस में ही नहीं परदेस में भी बना लेती थी तूं सब को अपना, तेरा उद्बोधन और संबोधन दोनों ही अति उम्दा रहे,ज़र्रा ज़र्रा ये बताता है
किसी की वाणी अच्छी होती है किसी का व्यवहार और किसी का जान
पर तीनों ही बेहतरीन रहे हैं जिसके,वह अंजु कुमार थी बड़ी महान
कोई कितना खास होता है जीवन में,
यह अभाव का प्रभाव बताता है
छोटों में छोटी सी,बड़ों में बड़ों सी,
तेरा तो चित,चितवन,चरित्र,चित्र,चेतन,अचेतन सब सुहाता है
पर्वों में दिवाली सी,
प्रकृति में हरियाली सी
तुझ से तो दिल का नाता है
तेरा चरित्र तो मां जाई
हम सब को कुछ ना कुछ अवश्य सिखाता है
किसी अभाव का प्रभाव ना हुआ तुझ पर,
अभाव तो तेरे हौंसले और
बढ़ाता है
बिखरना नहीं निखरना सीखा सदा तूने,
संघर्षों और चुनौतियों से तुझे लड़ना आता है
सबके भीतर छिपा है एक हनुमान
तेरा यह कथन पग पग पर याद आता है
अपने भीतर छिपी अपार अथाह संभावनाओं को हम अक्सर देख नहीं पाते
कर्म और मेहनत का तो चोली दामन का नाता है
*पढ़ाई करना तो सबसे आसान है*
सदा कहती थी तूं,पढ़ने से इंसा
धरा पर रह कर गगन छू जाता है
संकल्प को कैसे मिलाते हैं सिद्धि से,प्रयास आम को कैसे
बना देते हैं खास सब बताता है
बड़े सपने देख उसी दिशा में
जी जान से काम करना
तेरा चरित्र तो सबके लिए अनुकरणीय बन जाता है
प्रेम सुता! प्रेम को पढ़ा नहीं गढ़ा तूने,प्रेम को निभाना तो तुझ जैसे लोगों की ही आता है
बेटी,बहन,पत्नी,मां,बहु हर रूप में तेरा किरदार अनुकरणीय बन जाता है
जग से जाने वाले जेहन से कभी नहीं जाते,
ईश्वर तुझ सरीखे लोगों को अमर कर जाता है
११ स्वरों और ३३ व्यंजनों को भी तेरे बारे में सही से बताना नहीं आता है
शब्द नहीं भाव थी तूं मुझे तो इतना समझ में आता है
कोई पुण्य कर्म किए होंगे पिछले जन्म में ही तुझ से मां जाई का रहा नाता है
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