*जब प्रेम से पहले सम्मान आ जाए
समझ लेना विमेंस डे आ गया*
*जब नारी अस्मिता पर कोई आंच ना आए समझ लेना विमेंस डे आ गया*
*जब अंतरजातीय विवाह पर अंकुश ना लगाया जाएगा, जाति नहीं व्यक्ति विशेष को देख लड़कियों को इसकी अनुमति होगी समझ लेना विमेंस डे आ गया*
जब नारी को निर्णय लेने का अधिकार होगा उसकी स्वतंत्र सोच होगी और दुनिया को देखने का उसका अपना ही नजरिया होगा
अपने पैशन को प्रोफेशन बनाने में कोई भी बाधा बाधक नहीं बनेगी
समझ लेना विमेंस डे आ गया
नारी समंदर नहीं मीठी बहती नदी है खारापन उसका स्वभाव नहीं मिठास है उसका स्वभाव,गहराई है उसमें,सबको बांध कर रखने की क्षमता है उसके पास,जिस दिन यह समझ आ गया समझ लेना विमेंस डे आ गया
*नारी को महान भले ही ना समझो पर जिस दिन इंसान समझ लिया समझ लेना विमेंस डे आ गया*
*जब सास में मां और ननद में बहन दिखाई देने लगे समझ लेना विमेंस डे आ गया*
*जब नारी तन के भूगोल को छोड़ उसके मनोविज्ञान को पढ़ना आ जाए,समझ लेना विमेंस डे आ गया*
*जब बेटे बेटी को एक ही नजरिए से देखा जाने लगे
जब बेटी बोझ नहीं शक्ति लगने लगे
जब कुआं पूजन बेटी का भी सहज भाव से होने लगे समझ लेना विमेंस डे आ गया*
*जब बेटी को बेटे समान ही सब साधन और संसाधन मुहैया करवाए जाने लगे
समझ लेना विमेंस डे आ गया*
*जब समाज में हर बहन बेटी अपने को महफूज समझने लगे
जब हर बच्ची को शिक्षा का अधिकार मिले समझ लेना विमेंस डे आ गया*
जब कोई भी रावण किसी भी सीता का अपहरण ना कर पाए समझ लेना विमेंस डे आ गया
जब कोई भी दुशासन किसी भी पांचाली का चीर हरण ना कर पाए समझ लेना विमेंस डे आ गया
जब मलिन मनों से धुंध कुहासे हट जाएं,पराई नारी में मां बहन बेटी के दीदार होने लगें समझ लेना विमेंस डे आ गया
जब अपने कार्यक्षेत्र,बाजार,सफर में नारी बिन किसी डर के जा आ सके समझ लेना विमेंस डे आ गया
*जब नजर नहीं महिलाओं के लिए नजरिया बदलने लगे
जब हर बहन बेटी को बेटों के समान ही अधिकार मिलने लगें
समझ लेना विमेंस डे आ गया*
*जब बेटी को शादी के बाद भी अपने पीहर में एक कोना अपना दिखाई देने लगे समझ लेना विमेंस डे आ गया*
पर आधुनिकता के नाम पर मर्यादा की सीमा ना लांघी जाएं
हाथों में मदिरा के प्याले घर की बाला ना छलकाएं
जब यह पता हो कहां रुकना है कहां तक जाना है
अपनी लक्ष्मण रेखा का बोध हर सीता को हो समझ लेना विमेंस डे आ गया
अपने जीवन में सबसे दमदार नारी के रूप में मुझे तो मां नजर आती है
हर समस्या का समाधान खोज लेती थी मां,कभी भूख लगी तो मां रोटी बन जाती है
मां ने कब क्या कैसे कितना किया
यह तो एक लंबी कहानी है
पर जिंदगी की कहानी में मां रानी नहीं महारानी है
संघर्षों का डट कर किया मां ने सामना,हर धूप में मां छाता बन जाती है
मा प्रेरणापुंज रही आजीवन,
मां की कहानी हर मोड़ पर कुछ ना कुछ सिखाती है
कर्म बदल सकता है भाग्य
मां हर मोड़ पर यही सिखाती है
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