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संयम

वाणी पर हो संयम जिसका, उसे मानव कहते हैं उठ पटांग जो कुछ भी बोले, उसे दानव कहते हैं सीखना हो तो कोई तुझ से सीखे मीठी बोली और मधुर व्यवहार संयम,संतोष,सौहार्द,स्नेह की आजीवन बहती रही तेरे चित में बयार मैं नहीं कहती,कहता है ये सारा संसार सच में कोहिनूर थी तूं रोहिलास परिवार का, शिक्षा संग मिले थे तुझे संस्कार

संयम(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

वाणी पर हो संयम जिसका, उसे मानव कहते हैं उठ पटांग जो कुछ भी बोले, उसे दानव कहते हैं सीखना हो तो कोई तुझ से सीखे मीठी बोली और मधुर व्यवहार संयम,संतोष,सौहार्द,स्नेह की आजीवन बहती रही तेरे चित में बयार मैं नहीं कहती,कहता है ये सारा संसार सच में कोहिनूर थी तूं रोहिलास परिवार का, शिक्षा संग मिले थे तुझे संस्कार

रहते हो कहां

इजहार ने अहसास से अहसास ने स्नेह से स्नेह ने करुणा से करुणा ने विनम्रता से विनम्रता ने अपनत्व से अपनत्व ने संयम से संयम ने जिजीविषा से जिजीविषा ने कर्म से कर्म ने ज्ञान से ज्ञान ने संगीत से संगीत ने मधुर बोली से मधुर बोली ने मधुर व्यवहार से मधुर व्यवहार ने ममता से ममता ने प्रेम से पूछा रहते हो कहां???? एक ही सुर में बोले सारे और कहां??? **अंजु कुमार के यहां**

जिक्र में भी जेहन में भी