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Showing posts with the label अंजु कुमार

कभी कभी

कभी कभी वक्त के हाथ से कोई लम्हा ऐसे फिसल जाता है फिर बन जाती है कभी ना भूली जाने वाली दास्तान मुझे तो इतना समझ में आता है काल के कपाल पर कुछ लोगों को ईश्वर सदा के लिए चिन्हित कर जाता है *उम्र छोटी पर कर्म बड़े* तेरा जीवन यही तो बताता है दिल में करुणा,दिमाग में ज्ञान  जेहन में स्नेह और परवाह तेरे ऐसे रहा मां जाई जैसे सुर का सरगम से नाता है कहती नहीं थी तू कर देती थी ईश्वर तुझ जैसे लोगों को फुर्सत में बनाता है सर्वगुण सम्पन्न लोगों को मगर लंबी उम्र देना भूल जाता है देस में ही नहीं परदेस में भी बना लेती थी तूं सब को अपना, तेरा उद्बोधन और संबोधन  दोनों ही अति उम्दा रहे,ज़र्रा ज़र्रा ये बताता है किसी की वाणी अच्छी होती है किसी का व्यवहार और किसी का जान पर तीनों ही बेहतरीन रहे हैं जिसके,वह अंजु कुमार थी बड़ी महान कोई  कितना खास होता है जीवन में, यह अभाव का प्रभाव बताता है छोटों में छोटी सी,बड़ों में बड़ों सी, तेरा तो चित,चितवन,चरित्र,चित्र,चेतन,अचेतन सब सुहाता है पर्वों में दिवाली सी, प्रकृति में हरियाली सी तुझ से तो दिल का नाता है तेरा चरित्र तो मां जाई हम सब को क...

संयम

वाणी पर हो संयम जिसका, उसे मानव कहते हैं उठ पटांग जो कुछ भी बोले, उसे दानव कहते हैं सीखना हो तो कोई तुझ से सीखे मीठी बोली और मधुर व्यवहार संयम,संतोष,सौहार्द,स्नेह की आजीवन बहती रही तेरे चित में बयार मैं नहीं कहती,कहता है ये सारा संसार सच में कोहिनूर थी तूं रोहिलास परिवार का, शिक्षा संग मिले थे तुझे संस्कार

संयम(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

वाणी पर हो संयम जिसका, उसे मानव कहते हैं उठ पटांग जो कुछ भी बोले, उसे दानव कहते हैं सीखना हो तो कोई तुझ से सीखे मीठी बोली और मधुर व्यवहार संयम,संतोष,सौहार्द,स्नेह की आजीवन बहती रही तेरे चित में बयार मैं नहीं कहती,कहता है ये सारा संसार सच में कोहिनूर थी तूं रोहिलास परिवार का, शिक्षा संग मिले थे तुझे संस्कार

रहते हो कहां

इजहार ने अहसास से अहसास ने स्नेह से स्नेह ने करुणा से करुणा ने विनम्रता से विनम्रता ने अपनत्व से अपनत्व ने संयम से संयम ने जिजीविषा से जिजीविषा ने कर्म से कर्म ने ज्ञान से ज्ञान ने संगीत से संगीत ने मधुर बोली से मधुर बोली ने मधुर व्यवहार से मधुर व्यवहार ने ममता से ममता ने प्रेम से पूछा रहते हो कहां???? एक ही सुर में बोले सारे और कहां??? **अंजु कुमार के यहां**

जिक्र में भी जेहन में भी