काबिल ए बर्दाश्त thought by snehpremchand May 13, 2020 कई बार अपनों के दिये हुए जख्म कतई काबिल ए बर्दाश्त नहीं होते,परन्तु हमे यह इल्म हो,हमारा हमारी सोच और कर्मों पर तो अख्तियार है दूसरों की पर नहीं।। स्नेहप्रेमचन्द Read more