Skip to main content

Posts

Showing posts with the label अति खास

लम्हे

खास नहीं

खास

दूर हो कर भी पास

सच में होते हैं वही खास जो दूर होकर भी हों मन के अति पास अपनो के संग होने का होता कितना सुखद आभास जाने क्यों आता है साथ अब इनका ही रास।।

मेरे जीवन की खास नहीं अति खास महिलाएं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

इन दोनो से खास, नहीं मुझ को तो कोई भी महिला नजर है आती। कर्मठता और जिजीविषा दोनो को आम से खास बनाती।। जिंदगी के साथ भी,जिंदगी के बाद भी, महक इनके वजूद की कहीं भी जाती।। धड़धड़ाती ट्रेन से इनके वजूद के आगे, थरथराते पुल सा अस्तित्व रहा मेरा, इनके नगमे तो आज भी फिजा है गुनगुनाती।।

त्रिज्या नहीं,थी तूं व्यास

समय उड़ गया

त्रिवेणी