इन दोनो से खास, नहीं मुझ को तो कोई भी महिला नजर है आती। कर्मठता और जिजीविषा दोनो को आम से खास बनाती।। जिंदगी के साथ भी,जिंदगी के बाद भी, महक इनके वजूद की कहीं भी जाती।। धड़धड़ाती ट्रेन से इनके वजूद के आगे, थरथराते पुल सा अस्तित्व रहा मेरा, इनके नगमे तो आज भी फिजा है गुनगुनाती।।