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दस्तक

कतरे

बांवरा मन। thought by snehpremchand

जब भी अतीत की चौखट पर वर्तमान ने दी दस्तक , यादें आ गई सांकल खोलने, बांवरा मन हौले से हो गया नतमस्तक ।।               स्नेहप्रेमचंद